हाथरस में 2 जुलाई को एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ से में 121 लोगों की मौत हो गई थी और 30 से अधिक घायल हुए थे. जिस बाबा के सत्संग के दौरान यह भीषण दुर्घटना हुई उसका नाम है सूरजपाल. वह स्वयंभू बाबा बनने से पहले पुलिस की नौकरी करता था. अचानक आध्यात्म की दुनिया में उसकी एंट्री हुई और उसने अपना नाम सूरजपाल से बदलकर नारायण साकार हरि रख लिया और उसके अनुयायियों ने उसे भोले बाबा बना दिया.
बाबा के पास एक-दो नहीं बल्कि 24 आश्रम हैं. उसके चल और अचल संपत्तियों का मूल्य 100 करोड़ से अधिक है. बाबा 25 से 30 गाड़ियां के काफिले के साथ चलता है. नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा अपने अनुयायियों से एक पैसा चढ़ावा नहीं लेता, तो फिर उसने अपने कई आलीशान आश्रम कैसे खड़े कर लिए और इन आश्रमों में दुनिया की सभी सुख-सुविधाएं कैसे जुटायीं? नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा की फंडिंग कैसे होती है यह हम आपको बताते हैं...
मैनपुरी के बिछुवा गांव में भोले बाबा का 21 बीघा में पसरा आश्रम है. बाबा को यह जमीन मैनपुरी के ही विनोद बाबू आनंद ने दान में दी है. जमीन मिल गई तो इस पर बनी कोठी के लिए श्रद्धालुओं ने चंदा इकट्ठा किया. इलाके के 199 लोगों ने दिल खोलकर चंदा दिया. दस हजार रुपये से लेकर 2.51 लाख तक की धनराशि लोगों ने बाबा को दान स्वरूप भेंट की. चंदा देने वाले ये सभी लोगबाबा के मैनपुरी जिले की सेवादार कमेटी में शामिल हैं.
बाबा ने आश्रम के गेट पर लगावाया है दान देने वालों के नाम
बाबा ने चंदा देने वाले सभी लोगों के नाम और उनके बारे में पूरी जानकारी आश्रम के गेट पर लगवाया है. लिस्ट में सबसे ऊपर आश्रम के लिए 21 बीघा जमीन दान करने वाले विनोद बाबू आनंद का नाम है. उसके बाद नकद धनराशि देने वालों की लिस्ट लगी है. अगर चंदे की पूरी रकम जोड़ी जाए तो यह 88 लाख, 35हजार, 529 रुपये होती है. यानी 88 लाख से अधिक की रकम तो बाबा ने 200 लोगों से ही जुटा ली.
ऐसे ही कितने श्रद्धालु होंगे जिन्होंने ₹1000 से लेकर ₹10,000 तक का चंदा दिया होगा, लेकिन उनके नाम इस लिस्ट में नहीं दर्ज हो पाए हैं. भोले बाबा ने मैनपुरी की तरह ही हर जिले में श्रद्धालुओं के लिए एक अलग कमेटी बना रखी है, जो बाबा का हर जिले में आश्रम बनवाती है. इसीलिए गरीब तबके से आने वाले बाबा के श्रद्धालु कहते हैं कि वह तो उनसे चंदा लेते ही नहीं. उन्हें नहीं पता कि बाबा किस तरह से चंदा वसूलते हैं. इस बीच हाथरस भगदड़ के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है.
बाबा के कार्यक्रम को राजनीतिक दल द्वारा फंड करने का शक
उसने दावा किया कि वह 2 जुलाई के 'सत्संग' का मुख्य आयोजक और फंड रेजर था. उसने संदेह जताया कि स्वयंभू बाबा नारायण साकार हरि के कार्यक्रमों को एक राजनीतिक दल द्वारा फाइनेंस किया जाता है. यह दावा करते हुए कि कुछ राजनीतिक दलों ने हाल ही में मधुकर से संपर्क किया था, पुलिस ने कहा कि राजनीतिक कनेक्शन और धन के लेन-देन की जांच की जाएगी और यदि कोई भी दल गतिविधियों में शामिल पाया गया तो कठोरतम कार्रवाई की जाएगी.
हाथरस के पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'दो जुलाई को फुलराई गांव में हुए सत्संग का मुख्य आयोजक मधुकर था और इस कार्यक्रम की अनुमति उसके ही नाम से ली गई थी. इस प्रकार, मधुकर की दो भूमिकाएं सामने आई हैं- मुख्य आयोजक और फंड रेजर की. भगदड़ के बाद 2 जुलाई को सिकंदराराऊ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में मधुकर एकमात्र आरोपी है, और जांच से पता चला है कि कुछ राजनीतिक दलों ने कुछ समय पहले उससे संपर्क किया था. फंडिंग की विस्तृत जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या कार्यक्रम और अन्य संसाधनों को किसी राजनीतिक दल ने फंड किया था'.
हाथरस के पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल ने कहा, 'आरोपी देवप्रकाश मधुकर से जुड़े सभी बैंक खातों, चल-अचल संपत्तियों, मनी ट्रेल की जांच की जा रही है, जिसमें जरूरत के मुताबिक अन्य एजेंसियों से भी मदद ली जायेगी. अब तक की जांच से ऐसा लग रहा है कि कोई राजनीतिक दल अपने राजनीतिक और निजी हितों के लिए इनसे जुड़ा हुआ है'. यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस मधुकर को गिरफ्तार करने के बाद नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा से भी पूछताछ करेगी, हाथरस एसपी ने कहा, 'मामले में आगे की जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी'.