केंद्र में कैबिनेट गठन के बाद से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की झारखंड में सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) नाखुश नजर आ रही है.
राज्य की गिरिडीह लोकसभा सीट से एनडीए ने AJSU उम्मीदवार चंद्रप्रकाश चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा था. इस सीट से AJSU उम्मीदवार की जीत के बाद पार्टी को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी के सांसद चौधरी को भी कैबिनेट में मंत्री पद दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. झारखंड से कैबिनेट मंत्री के तौर पर कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी को शपथ दिलवाई गई जबकि रांची से सांसद संजय सेठ को राज्यमंत्री के तौर पर मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया.
बता दें कि AJSU को उम्मीद थी कि मोदी कैबिनेट में एक सांसद वाले पार्टी को भी मंत्री पद दिया गया है. AJSU के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि सभी सहयोगी दल जो सरकार को समर्थन दे रहे हैं, उन्हें उचित मान सम्मान दिया जाना चाहिए था. इससे AJSU कार्यकर्ता और समर्थकों को निराशा हुई है और पार्टी इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करेगी.
2019 में रघुवर दास की अगुवाई में AJSU जब विधानसभा चुनाव अकेले लड़ी थी तो बीजेपी के खाते में महज 25 सीटें आई थी. ऐसे में एक बार फिर चर्चा है की क्या केंद्र में मंत्री बनाने से बीजेपी का इनकार यहां राज्य के विधानसभा चुनावों में कोई असर डाल सकता है. बता दें कि झारखंड में ओबीसी की आबादी 46 फीसदी है, जिसमें यादव 10 फीसदी और वैश्य 25 फीसदी हैं.
एनसीपी अजित गुट ने भी जताई थी नाराजगी
एनसीपी अजित गुट ने भी मंत्री पद नहीं मिलने के बाद अपनी नाराजगी जाहिर की थी. पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि शपथ ग्रहण से पहले हमें बताया गया था कि हमारी पार्टी को स्वतंत्र प्रभार वाला एक राज्य मंत्री मिलेगा. मैं पहले केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री था, इसलिए यह मेरे लिए एक डिमोशन होता. हमने बीजेपी नेतृत्व को सूचित कर दिया है और उन्होंने हमें कहा है कि बस कुछ दिन इंतजार करें, वे सुधारात्मक उपाय करेंगे.
एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना ने भी जताई थी नाराजगी
इसके बाद मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना ने भी नाराजगी जताई थी. पार्टी के चीफ व्हीप श्रीरंग बारणे ने कहा था कि एक तरफ जहां, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और एचडी कुमारस्वामी की पार्टी को कम सीट मिलने के बाद भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. वहीं, उनकी पार्टी के सात सांसद होने के बावजूद सिर्फ स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री का ही पद दिया गया.
श्रीरंग बारणे ने कहा कि हम कैबिनेट में जगह की उम्मीद कर रहे थे. चिराग पासवान के पांच सांसद हैं, मांझी के एक सांसद हैं, जेडीएस के दो सांसद हैं, फिर भी उन्हें एक कैबिनेट मंत्रालय मिला है. फिर 7 लोकसभा सीटें मिलने के बावजूद शिवसेना को सिर्फ एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) क्यों मिला.