अमेरिका के भारी-भरकम टैरिफ के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस की कंपनियों के साथ भारत का सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने साथ ही चेताते हुए कहा कि टैरिफ और गैर टैरिफ बाधाओं से द्विपक्षीय व्यापार की गति प्रभावित हो सकती है.
उन्होंने मॉस्को में भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के 26वें सत्र को संबोधित करते हुए भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने पर जोर दिया.
जयशंकर ने कहा कि टैरिफ और गैर टैरिफ बाधाओं और लॉजिस्टिक्स की रुकावटों को दूर करना, अंतरराष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के जरिए कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना और सुचारू भुगतान मैकेनिज्म सुनिश्चित करना फिलहाल सबसे बड़ी चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा कि आयोग ने मॉस्को बैठक के दौरान मुक्त व्यापार समझौते के लिए संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप दे दिया है, जिसे उन्होंने एक महत्वपूर्ण कदम बताया.
भारत और रूस का व्यापार पिछले चार साल में पांच गुना से ज्यादा बढ़ा है. यह 2021 में 13 अरब डॉलर की तुलना में 2024-2025 में बढ़कर 68 अरब डॉलर हो गया है. ऐसा रूस में भारत में हाइड्रोकार्बन के इंपोर्ट की वजह से हुआ है. रूसी दूतावास का अनुमान है कि पिछले पांच साल में इस दर में 700 फीसदी का इजाफा हुआ है.
लेकिन जयशंकर ने इस दौरान लगातार बढ़ रहे असंतुलन की तरफ भी ध्यान दिया. रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा 2021 में 6.6 अरब डॉलर था जो अब बढ़कर लगभग 59 अरब डॉलर हो गया है. जयशंकर ने कहा कि इसे तुरंत सुलझाने की जरूरत है. उन्होंने आग्रह किया कि रूस, भारत से भी इंपोर्ट बढ़ाए.
इसके साथ ही जयशंकर ने रूसी कंपनियों को भी भारत में बढ़-चढ़कर निवेश करने और भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी बढ़ाने पर जोर दिया.