भारतीय वायुसेना के बेड़े में 6 और राफेल लड़ाकू विमान शामिल होने वाले हैं. फ्रांस के दौरे पर पहुंचे वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया बुधवार को 6 राफेल लड़ाकू विमानों को भारत के लिए रवाना करेंगे. ये विमान फ्रांस के मेरिनेक एयरबेस से उड़ान भरेंगे और करीब 7 हजार किलोमीटर का सफर तय कर भारत पहुंचेंगे. इनके आने के बाद हमारे पास राफेल लड़ाकू विमानों की संख्या 20 तक पहुंच जाएंगे. फिलहाल भारत के पास 14 लड़ाकू विमान हैं.
भारत ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की डील की है. इनमें से अभी 14 राफेल भारत आ चुके हैं. 6 अगले दो से तीन दिन में आ जाएंगे. मई में भी कुछ राफेल विमान आने की बातें कही जा रही हैं. भारतीय वायुसेना में राफेल लड़ाकू विमान की दो स्क्वाड्रन होगी. दोनों स्क्वाड्रन में 18-18 लड़ाकू विमान होंगे. एक स्क्वाड्रन की तैनाती अंबाला एयरबेस और दूसरी स्क्वाड्रन की तैनाती हाशिमारा एयरबेस पर होगी. अंबाला एयरबेस पूरी तरह से तैयार हो चुका है और अभी यहीं पर सारे राफेल तैनात हैं. जबकि बंगाल के हाशिमारा एयरबेस को अंबाला की तरह ही डेवलप किया जा रहा है.
ये दोनों एयरबेस इसलिए भी खास हैं, क्योंकि एक एयरबेस पाकिस्तान सीमा के नजदीक है, तो दूसरा चीन सीमा के. अंबाला एयरबेस से पाकिस्तान का सरगोधा एयरबेस है और हाशिमारा एयरबेस से चीन का गर गुंसा एयरबेस नजदीक पड़ता है. ऐसे में युद्ध के हालात में भारतीय वायुसेना पाकिस्तान और चीन की वायुसेना के खिलाफ तेजी से एक्शन ले सकेगी.
यूपीए-2 के कार्यकाल में भारत सरकार ने फ्रांस के दसॉ एविएशन ने 126 राफेल विमान खरीदने के लिए डील की थी. लेकिन 2015 में मोदी सरकार ने इस डील को कैंसिल कर दिया था. सितंबर 2016 में मोदी सरकार ने दसॉ के साथ एक नई डील की. ये डील 58,891 करोड़ रुपए की थी. इसके तहत फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का समझौता किया गया.
वहीं, अगर राफेल के खास फीचर्स की बात करें तो इसमें ताकतवर M88 डबल इंजन लगा हुआ है. अगर एक बार इसमें ईंधर भर दिया जाए, तो ये लगातार 10 घंटे तक हवा में उड़ान भर सकता है. इतना ही नहीं, इसमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है. इसके अलावा विमान में हवा से जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को भी तैनात किया जा सकता है.