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गोवा अग्निकांड के भगोड़े लूथरा ब्रदर्स बच नहीं पाएंगे, थाईलैंड-भारत के बीच है प्रत्यर्पण संधि

गोवा के अरपोरा स्थित 'Birch by Romeo Lane' नाइटक्लब में लगी भीषण आग की घटना के बाद फरार लूथरा ब्रदर्स पर शिकंजा कसता जा रहा है. हादसे में 25 लोगों की मौत के बाद दोनों मालिक थाईलैंड भाग गए हैं, लेकिन भारत-थाईलैंड प्रत्यर्पण संधि के चलते उनका बच पाना लगभग नामुमकिन माना जा रहा है.

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नाइट क्लब में आग की घटना के बाद लूथरा ब्रदर्स थाईलैंड भाग गए. (Photo- Instagram)
नाइट क्लब में आग की घटना के बाद लूथरा ब्रदर्स थाईलैंड भाग गए. (Photo- Instagram)

गोवा के अरपोरा इलाके में स्थित नाइटक्लब में शनिवार रात लगी भीषण आग ने 25 लोगों की जान ले ली, जिनमें चार पर्यटक और 21 क्लब कर्मचारी शामिल थे. हादसे के कुछ ही घंटों बाद क्लब के दो मुख्य मालिक सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा भारत से फरार होकर थाईलैंड पहुंच गए. लेकिन अब उन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कार्रवाई शुरू हो चुकी है और भारत-थाईलैंड प्रत्यर्पण संधि के चलते उनका लौटकर आना तय माना जा रहा है.

गोवा पुलिस ने इंटरपोल से संपर्क कर लूथरा ब्रदर्स के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करवाया है. गोवा डीजीपी ने बताया कि घटना के सिर्फ दो दिनों में नोटिस जारी हो जाना "बड़ी सफलता" है, क्योंकि आमतौर पर ऐसी प्रक्रिया में एक सप्ताह से अधिक समय लगता है. इसके साथ ही गोवा पुलिस ने पासपोर्ट कार्यालय को चिट्ठी लिखकर दोनों के पासपोर्ट तत्काल रद्द करने का अनुरोध किया है, ताकि वे किसी अन्य देश न भाग सकें.

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इस मामले में क्लब के एक सह-मालिक ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह "स्लीपिंग पार्टनर" था और संचालन संबंधी खामियों की जानकारी नहीं थी. लेकिन पुलिस जांच अब सीधे उन दो मालिकों पर केंद्रित है जो घटना के तुरंत बाद विदेश भाग गए.

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भारत-थाईलैंड प्रत्यर्पण संधि- कैसे लौटेंगे लूथरा ब्रदर्स?

भारत और थाईलैंड के बीच प्रत्यर्पण व्यवस्था 1982 से चली आ रही है, जिसे 2013 में एक औपचारिक संधि के रूप में मजबूत किया गया. यह संधि 29 जून 2015 को लागू हुई. इस समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे के नागरिकों को भी वापस सौंप सकते हैं, चाहे वे किसी भी तरह के अपराध में शामिल हों. चाहे आतंकवाद हो, आर्थिक अपराध हो, या ट्रांस-नेशनल क्राइम.

इससे पहले भी कम से कम तीन भारतीय अपराधियों को थाईलैंड से डीपोर्ट किया गया है. इनमें 2006 में कोसाराजू वेंकटेश्वर राव, 2009 में गुरप्रीत सिंह भुल्लर और 2015 में जगतार सिंह तारा को भारत लाया गया था. इन मामलों से यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच कानूनी सहयोग बेहद मजबूत रहा है.

इनके अलावा भारत की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU-IND) और थाईलैंड की AMLO के बीच 2013 से मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के मामलों में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने का समझौता है. ऐसे में अगर लूथरा ब्रदर्स ने किसी भी तरह के आर्थिक लेन-देन को छिपाने की कोशिश की है, तो उनका पता लगना आसान होगा.

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साथ ही दोनों देशों के बीच 2012 में 'सजायाफ्ता लोगों के स्थानांतरण' का समझौता भी हुआ था, जो 2013 से लागू है. इससे यह पुष्टि होती है कि न्यायिक सहयोग का पूरा सिस्टम पहले से सक्रिय है.

कानूनी घेरे में फंसते जा रहे लूथरा ब्रदर्स

लूथरा ब्रदर्स ने फिलहाल दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है, लेकिन चूंकि मामला 25 मौतों और भारी लापरवाही से जुड़ा है, ऐसे में उनके विदेश भाग जाने को कोर्ट भी गंभीरता से देख सकता है. गोवा पुलिस ने भी संकेत दिया है कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाई जाएगी.

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