
भारत का क्रेडिट कार्ड बिल इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि इसे अनदेखा करना मुश्किल है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2025 तक बकाया क्रेडिट कार्ड कर्ज ₹2.91 लाख करोड़ तक पहुंच गया है. जुलाई 2021 में यह ₹1.32 लाख करोड़ था. यानी सिर्फ 4 साल में क्रेडिट कार्ड का कर्ज 2.2 गुना हो गया है.
जितने बढ़ रहे कार्ड, उतना बढ़ता कर्ज
इस उछाल की बड़ी वजह sheer volume है. RBI के Database on Indian Economy के मुताबिक, जुलाई 2021 में देश में 6.34 करोड़ क्रेडिट कार्ड चलन में थे, जो जुलाई 2025 में बढ़कर 11.16 करोड़ हो गए. यानी सीधे सीधे 76% की बढ़ोतरी हुई. सिर्फ कार्ड ही नहीं बढ़े, बल्कि हर कार्ड पर लिया जाने वाला उधार भी बढ़ा है. 2021 के बीच में प्रति कार्ड औसत बकाया लगभग ₹20,900 था, जो जुलाई 2025 में बढ़कर ₹26,100 हो गया है. यानी इसमें भी 25% की बढ़ोतरी हो गई.

EMI और ‘जीरो-कॉस्ट’ का भ्रम
इस बूम के पीछे EMI का बड़ा रोल है. बैंक और फिनटेक कंपनियां ग्राहकों को महंगे सामान को EMI पर खरीदने के लिए जोर देती हैं. अक्सर इन EMI पर ब्याज भी लगता है. इसी को लेकर RBI ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियम कड़े किए.
RBI ने कार्ड जारी करने वालों को निर्देश दिए हैं कि EMI की पूरी डिटेल यानी प्रिंसिपल, ब्याज और किसी भी डिस्काउंट का ब्रेकअप स्पष्ट लिखना जरूरी है. साथ ही ब्याज वाली EMI को जीरो -कॉस्ट कहना अब बैन है.
क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन जैसे unsecured loans में तेजी से बढ़ते कर्ज को देखकर RBI ने नवंबर 2023 में हस्तक्षेप किया. केंद्रीय बैंक ने निर्देश दिए कि बैंकों को ऐसे लोन पर ज्यादा capital set aside करना होगा. इसका मतलब है कि जोखिम भरे लोन पर risk weights बढ़ाए गए ताकि इस तेज ग्रोथ को थोड़ा धीमा किया जा सके.

संसद में भी उठा मुद्दा
जुलाई 2025 में संसद में दिए एक जवाब में RBI के आंकड़े पेश किए गए. इसमें कहा गया कि 31 मार्च 2025 तक unsecured retail loans ₹15.08 लाख करोड़ तक पहुंच गए हैं. इनमें से ₹2.95 लाख करोड़ सिर्फ क्रेडिट कार्ड बकाया है और ₹10.30 लाख करोड़ पर्सनल लोन है.
इसी दौरान क्रेडिट कार्ड की delinquency यानी 91–360 दिन तक न चुकाए गए कर्ज तेजी से बढ़े. ये सिर्फ एक साल में यह 44% बढ़ गए. मार्च 2024 में ₹23,476 करोड़ की तुलना में मार्च 2025 में यह ₹33,886 करोड़ हो गए. इसका जिक्र Indian Express की एक रिपोर्ट में किया गया है.
क्या भारत कर्ज़ के जाल में फंस रहा है?
इसका जवाब सीधा नहीं है. RBI की Financial Stability Report जून 2025 में जारी हुई. इसमें कहा गया कि unsecured loans में दबाव बढ़ रहा है. क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट्स बढ़ रहे हैं. Gross NPA ratio मार्च 2024 में 1.84% था, जो मार्च 2025 में बढ़कर 2.30% हो गया. पर्सनल लोन में भी खराब कर्ज थोड़ा बढ़ा है. हालांकि, RBI ने अब तक इसे systemic risk यानी पूरे बैंकिंग सिस्टम के लिए खतरा नहीं बताया है.
दूसरी ओर, अभी भी क्रेडिट कार्ड लोन पूरे बैंकिंग सेक्टर की तुलना में एक छोटा हिस्सा हैं. Economic Survey 2024–25 के अनुसार, पर्सनल लोन में ज्यादातर हिस्सा हाउसिंग और व्हीकल लोन का है, जबकि क्रेडिट कार्ड तेजी से बढ़ते हुए भी अभी छोटे हिस्से में हैं.