देश में कोरोना की दूसरी लहर ने भारी तबाही मचा दी है. रिकॉर्डतोड़ मामलों के बीच मौत का ग्राफ भी काफी बढ़ गया है. कई राज्यों में लॉकडाउन लग गया है तो कई जगहों पर नाइट कर्फ्यू भी देखने को मिल रहा है. अब देशव्यापी लॉकडाउन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. सरकार द्वारा बनाई गई Covid-19 टास्क फोर्स ने सलाह दी है कि देश में संपूर्ण लॉकडाउन लगाने से बचना चाहिए. मगर उसकी जगह कुछ ऐसे उपाय अपनाने चाहिए, जिससे कोरोना पर काबू पाया जा सके.
संक्रमण कितना फैला, इस आधार पर लगे पाबंदियां
कोविड-19 टास्क फोर्स ने सरकार से किसी इलाके में संक्रमण की रफ्तार कितनी है और उसका फैलाव कितना है, इस आधार पर पाबंदियां लगाने की सलाह दी है. इस आधार पर टास्क फोर्स ने तीन कैटेगरी में बांटने की सलाह दी है.
1. लो-रिस्कः ऐसे इलाके जहां हर 1 लाख आबादी पर रोज आने वाले नए मामलों की संख्या 2 से 10 के बीच और यहां संक्रमण की दर 2% से कम हो. ऐसे इलाकों में 50% कैपेसिटी के साथ स्कूल, कॉलेज, दुकानें, रेस्टोरेंट, ऑफिस, धार्मिक स्थल खोलने की इजाजत दी जा सकती है.
2. मीडियम रिस्कः ऐसे इलाके जहां हर 1 लाख आबादी पर रोज आने वाले नए मामलों की संख्या 2 से 10 बीच ही हो, लेकिन यहां संक्रमण की दर 2% से 5% के बीच हो. यहां पॉजिटिविटी रेट भी 5-10% के बीच हो, तो यहां पर पाबंदियों के साथ मूवमेंट शुरू किया जा सकता है.
3. हॉटस्पॉटः ऐसी जगहें जहां हर 1 लाख आबादी पर रोज आने वाले नए मामलों की संख्या 10 से ज्यादा हो. यहां संक्रमण दर 5% और पॉजिटिविटी रेट 10% से ज्यादा हो, तो यहां स्कूल-कॉलेज तो बंद ही रहें. साथ ही दुकानें, रेस्टोरेंट, धार्मिक स्थल, फैक्ट्रियां भी 6 से 10 हफ्ते के लिए बंद रहें. यहां पाबंदियां ज्यादा सख्त हों और सिर्फ जरूरी सेवा को ही छूट मिले.
डोमेस्टिक ट्रैवल पर भी पाबंदी ना हो
टास्क फोर्स ने सरकार को ये भी सलाह दी है कि देश में डोमेस्टिक ट्रैवल पर भी पाबंदी लगाना सही नहीं होगा. रेलवे और रोड के जरिए होने वाले ट्रांसपोर्ट को चालू रहने देना चाहिए, क्योंकि गरीबों की आवाजाही का यही एकमात्र जरिया है. ट्रांसपोर्ट पर पाबंदी लगाने की बजाय रैंडम टेस्टिंग पर फोकस होना चाहिए. टास्क फोर्स का ये भी कहना है कि कोरोना को कोई भी रोक नहीं सकता है. इसलिए लोगों के आने-जाने से पहले आरटी-पीसीआर टेस्ट की अनिवार्यता भी नहीं होनी चाहिए.
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार लॉकडाउन का विरोध किया है. देश के नाम दिए संबोधन में भी उन्होंने कहा था कि तमाम राज्य लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में सोचें, वहीं पूरी कोशिश की जाए कि लॉकाडउन वाली परिस्थिति ना आए. लेकिन पीएम के उस संबोधन के बाद देश के हालात काफी बदल गए हैं. अब सक्रिय मामले भी 32 लाख के पार चले गए हैं ,वहीं 2 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.