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बेंगलुरु: 10वीं की दो छात्राओं ने जुटाए 2 लाख, 200 ऑक्सीमीटर खरीद गरीबों में बांटे

कोरोना महामारी ने पल्स ऑक्सीमीटर को हर घर की जरूरी चीज में तब्दील कर दिया है, लेकिन जो लोग आर्थिक स्थिति से कमजोर हैं और ऑक्सीमीटर नहीं खरीद सकते, उनकी मदद के लिए बेंगलुरु के एक स्कूल की दो छात्राएं सामने आई हैं.

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ग्रीनवुड हाई इंटरनेशनल स्कूल की छात्राएं स्नेहा और श्लोका  (फोटो-ट्विटर)
ग्रीनवुड हाई इंटरनेशनल स्कूल की छात्राएं स्नेहा और श्लोका (फोटो-ट्विटर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ग्रीनवुड हाई इंटरनेशनल स्कूल की हैं दोनों छात्राएं 
  • एग्जाम कैंसिल होने के बाद दिमाग में आया आइडिया

बेंगलुरु के ग्रीनवुड हाई इंटरनेशनल स्कूल की दो छात्राओं ने गरीब लोगों में ऑक्सीमीटर बांटने के लिए चंदा इकट्ठा किया. 24 घंटे में ही दोनों ने 2 लाख रुपए इकट्ठे कर लिए. इसके बाद ऑक्सीमीटर बनाने वाली एक कंपनी से संपर्क किया. वहां से 200 ऑक्सीमीटर खरीदे, जिसके बाद इन्हें गरीब परिवारों तक पहुंचाने के लिए समाज सेवा में जुटी एक संस्था से संपर्क किया. छात्राओं द्वारा किए गए इस कार्य को लेकर स्कूल प्रशासन ने भी प्रशंसा की है. 

फंड से खरीदे गए ऑक्सीमीटर को गरीब परिवारों में बांटने के लिए संपर्क नाम के एनजीओ से कॉन्टेक्ट किया गया. संपर्क एनजीओ वंचित लोगों के कल्याण के लिए काम करता है. स्नेहा राघवन और श्लोका अशोक बेंगलुरु के ग्रीनवुड हाई इंटरनेशनल स्कूल में 10वीं क्लास की छात्राएं हैं. स्कूल की ओर से खुद एक ट्वीट में दोनों छात्राओं को शाबाशी दी गई. ट्वीट में कहा गया है कि स्नेहा और श्लोका ने स्लम्स में रहने वाले परिवारों की 200 ऑक्सीमीटर से मदद की. एक दिन में 2 लाख रुपए का फंड इकट्ठा कर ऑक्सीमीटर्स को बांटने के लिए संपर्क एनजीओ को सौंपा गया.

ऑक्सीमीटर्स को बेंगलुरु के स्लम्स और कोप्पाल के गांवों में बांटा जा रहा है. स्नेहा और श्लोका ने विभिन्न ऑक्सीमीटर्स निर्माताओं से संपर्क किया और अपना मकसद बताते हुए सबसे कम कीमत बताने वाले निर्माता से डील फाइनल की.

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दोनों छात्राओं ने फंड एकत्र करने के लिए पोस्टर बनाए. साथ ही एक फंडरेजर पेज भी बनाया. स्नेहा और श्लोका के मुताबिक क्योंकि महामारी की वजह से उनके इम्तिहान स्थगित हो गए हैं, ऐसे में जरूरतमंदों की मदद के लिए उन्होंने सोचा कि घर पर बैठे बैठे ही इंटरनेट के जरिए क्या किया जा सकता है.

स्नेहा और श्लोका आगे भी समाज के लिए ऐसा कुछ न कुछ करते रहना चाहती हैं. स्नेहा और श्लोका ने फंडरेजिंग में योगदान करने वालों का आभार जताया. दोनों के मुताबिक उन्होंने नहीं सोचा था कि उनकी पहल को इतना अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा. 

 

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