
कहानी किसी फिल्म की नहीं पर किसी फिल्म की कहानी से कम भी नहीं. मुंबई में दो अनजान मिले, दोस्ती हुई और फिर इस जोड़ी ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया कि इनका काम न केवल समाज में जागरूकता फैला रहा है बल्कि जरूरतमंदों की जरूरत पूरी कर रहा है.
जी हां ये दोस्त पुराने जूते बेचकर करोड़पति बन गए. ये गुड न्यूज मुंबई से है जहां दो यारों ने मिलकर एक ऐसी फैक्ट्री लगाई है जहां बेकाम जूतों और चप्पलों की मरम्मत करके उन्हें फिर से इस्तेमाल में लाया जा सके ऐसा बनाया जाता है.
29 साल के रमेश धामी और 30 साल के श्रियांश भंडारी ग्रीन सोल फाउंडेशन नाम की एक संस्था चला रहे हैं जिसमें कूड़े दान में पड़े जूते- चप्पल या अन्यथा जगह से बेकार जूतों को फिर से इस लायक बनाया जाता है कि वो बाजार में बिक सकें और जरूरतमंदों के काम आ सकें.

साल 2016 मे खुले इस ऑग्रनाइजेशन ने अब तक आठ लाख से ज्यादा रिसायकिलिंग किए जूते चप्पल डिलीवर कर दिये हैं. तस्वीरों में दिख रहे रमेश धामी उत्तराखंड से हैं और एक्टर बनने का सपना लेकर मुंबई आए थे. इन्हें मैराथन दौड़ने का शौक था लेकिन बार बार जूता धोखा दे देता. एक दिन रमेश ने महंगा और ब्रांडेड जूता खरीदा. लेकिन समय से पहले ही उस ब्रांडेड जूते ने रमेश को धोखा दे दिया. दौड़ते वक्त जूता फट गया. राकेश ने देसी जुगाड़ लगाया और जूते की मरम्मत करके उसे महीनों पहना.
मैराथन के दिनों में ही रमेश की दोस्ती उदयपुर राजस्थान से आये श्रीयांश भंडारी से हो गई. श्रियांश बीएमएच की पढ़ाई करने मुंबई आए हुवे थे. रमेश ने श्रीयांश के सामने जूतों की रीसाइकिल व्यवसाय का प्रस्ताव रखा और आज इनके बनाये हुए जूते चप्पल हर महीने 25 हजार लोग पहनते हैं. आज इस व्यवसाय से दोनों करोड़ों कमा रहे हैं.
गौरतलब है कि एक जानकारी के अनुसार विश्वभर में एक साल में 35 हजार जूते इस्तेमाल करने के बाद डस्टबिन में फेंक दिए जाते हैं जबकि सवा करोड़ लोगों को जूतों की जरूरत है. जूते चप्पल के अलावा ये लोग स्कूल बैग और मेट- चटाई भी बनाते हैं. जिस बेकार गंदे जूतों को लोग फेंक देते हैं, उसे छूना नहीं चाहते, ये कारीगर उन जूते चप्पलों को एक नया रूप और नई पहचान देने में जुटे हैं.
हालांकि इनके द्वारा बनाये गए जूतों- चप्पलों की भी कीमत होती है पर बाजार की कीमत की तुलना में काफी कम होती है. इनके द्वारा बनाये गए कन्साइनमेंट सरकारी स्कूल- कॉलेज और अनाथ आश्रम में भी जाते हैं.
Input: धर्मेंद्र दूबे