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'उद्धव गुट के कई विधायक-सांसद हमारे संपर्क में...', भारत नेता गिरीश महाजन का बड़ा दावा

भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन ने रविवार को दावा किया कि शिवसेना (यूबीटी) के कई सांसद और विधायक उनके संपर्क में हैं और लोगों को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर भरोसा नहीं है.

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महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा नेता गिरीश महाजन
महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा नेता गिरीश महाजन

महाराष्ट्र के वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य मंत्री गिरीश महाजन ने रविवार को बड़ा दावा करते हुए कहा कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के कई सांसद और विधायक उनके संपर्क में हैं. महाजन ने कहा कि उद्धव ठाकरे की नेतृत्व क्षमता पर अब लोगों का भरोसा नहीं रहा है.

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सोलापुर में पत्रकारों से बात करते हुए महाजन ने कहा, "आज भी उद्धव गुट के कई विधायक और सांसद मेरे संपर्क में हैं. अगर यकीन नहीं है तो जल्द ही आप खुद देख लेंगे."  उन्होंने यह भी दावा किया कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने की चाह में अपने पिता (शिवसेना संस्थापक) बाल ठाकरे की विचारधारा से भटक गए और उन्होंने अपना राजनीतिक भविष्य बर्बाद कर लिया.

महाजन ने उद्धव ठाकरे को "पलटीबहादुर" बताते हुए उन पर 2019 में मुख्यमंत्री बनने की लालसा में अपने पिता बाल ठाकरे की विचारधारा से भटकने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ठाकरे का यह रवैया अपरिपक्व और अवसरवादी हैं.

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उद्धव पर साधा निशाना

भाजपा नेता का यह बयान तब आया है जब उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) ने दो दशक में पहली बार मुंबई में एक रैली में मंच साझा किया था. गौरतलब है कि हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के स्कूलों में कक्षा 1 से तीसरी भाषा के रूप में हिंदी लागू करने से संबंधित दो सरकारी प्रस्ताव (GR) वापस ले लिए थे. इस मुद्दे पर भाजपा ने उद्धव ठाकरे को घेरा है.

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महाजन ने कहा, "यह वही उद्धव ठाकरे थे जिनकी सरकार ने ही त्रिभाषा नीति को मंजूरी दी थी. कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पास हुआ और फाइल पर उनके हस्ताक्षर भी थे. अब वही इसका विरोध कर रहे हैं, यह सीधी पलटी है." महाजन ने आगे कहा, "आगामी जिला परिषद, पंचायत समिति और नगर पालिका चुनावों में तय हो जाएगा कि जनता किस नेता पर भरोसा करती है."

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उन्होंने उद्धव ठाकरे पर एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाकर हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "उद्धव ने बालासाहेब के हिंदुत्व को दरकिनार कर शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस (2019 के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद) से हाथ मिला लिया. मुख्यमंत्री बनने की चाहत में उन्होंने अपना राजनीतिक भविष्य बर्बाद कर लिया है."

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