मुंबई के पोवई इलाके में गुरुवार को उस समय हड़कंप मच गया जब रोहित आर्या नाम के एक व्यक्ति ने 17 बच्चों समेत 19 लोगों को बंधक बना लिया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आर्या को एक पुलिसकर्मी ने तब गोली मारी जब वह एक बंधक पर निशाना साधने ही वाला था.
जानकारी के अनुसार, आरोपी ने सभी लोगों को "वेब सीरीज ऑडिशन" के बहाने एक स्टूडियो में बुलाया था. वहां पहुंचने के बाद उसने दरवाजा बंद कर दिया और खुद को एक एयरगन से लैस बताया. तीन घंटे तक चले इस ड्रामे के दौरान पुलिस ने बातचीत के ज़रिए स्थिति संभालने की कोशिश की, लेकिन आर्या ने किसी की बात नहीं मानी.
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पुलिस के मुताबिक, रोहित आर्या और उसकी पत्नी अंजलि आर्या पुणे के कोथरुड इलाके के शिवतीर्थ नगर में किराये के मकान में रहते थे. 28 अक्टूबर 2024 को दोनों ने मकान मालिक देशपांडे के साथ 36 महीने का रेंट एग्रीमेंट किया था लेकिन समाज में उनके अनुचित व्यवहार और पड़ोसियों की शिकायतों के बाद, मकान मालिक ने उन्हें घर खाली करने का नोटिस जारी किया.
मकाल मालिक से विवाद की वजह से घर खाली करना पड़ा
2 मार्च 2025 को आर्या ने किराया देना बंद कर दिया और देशपांडे को उल्टा 2 लाख रुपये मुआवजे की मांग वाला नोटिस भेजा. कई दौर की बातचीत और लिखित समझौते के बाद भी वे घर खाली नहीं कर रहे थे. यहां तक कि मकान मालिक ने 1.75 लाख रुपये देने की सहमति भी जताई लेकिन फिर भी घर खाली करने को राजी नहीं थे. आखिरकार पुलिस हस्तक्षेप के बाद मई 2025 में उन्हें घर खाली कराना पड़ा.
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घर खाली करने के बाद रिश्तेदार के साथ रह रहा था आर्य कपल
पुलिस सूत्रों के अनुसार, घर खाली करने के बाद से ही आर्या आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान था और अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहा था. शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि इसी मानसिक तनाव और बदले की भावना में उसने बंधक बनाने की योजना रची. फिलहाल पुलिस ने देशपांडे द्वारा दिए गए सभी दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं और आरोपी की पृष्ठभूमि, मानसिक स्थिति और किसी बड़े साजिशी नेटवर्क की भूमिका की जांच कर रही है.