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इतिहासकार बाबासाहेब पुरंदरे का 99 साल की उम्र में निधन, पीएम मोदी ने जताया दुख

शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे का 99 साल की उम्र में दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में इलाज के दौरान आज सुबह 5 बजकर 7 मिनिट पर स्वर्गवास हो गया. सुबह 10.30 बजे वैकुंठ स्मशानभूमी में बाबासाहेब पुरंदरे का अंतिम संस्कार किया जाएगा.

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99 साल की उम्र में हुआ निधन
99 साल की उम्र में हुआ निधन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 99 साल की उम्र में हुआ निधन
  • निमोनिया की वजह से अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे

प्रसिद्ध इतिहासकार और पद्म विभूषण से सम्मानित बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को पुणे के एक अस्पताल में निधन हो गया. उन्हें बाबासाहेब पुरंदरे के नाम से भी जाना जाता है. 

शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे का 99 साल की उम्र में दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में इलाज के दौरान सोमवार सुबह 5 बजकर 7 मिनट पर स्वर्गवास हो गया. सुबह 10.30 बजे वैकुंठ स्मशानभूमी में बाबासाहेब पुरंदरे का अंतिम संस्कार किया जाएगा.

मराठा योद्धा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के अधिकारी पुरंदरे (99) को एक सप्ताह पहले निमोनिया हो गया था. तब उन्हें दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मृत्यु हो गई.

वे अस्पताल के आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे. डॉक्टर के मुताबिक, रविवार को उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी और तब से उनकी हालत बेहद गंभीर बनी हुई थी.

पुरंदरे का जन्म 29 जुलाई, 1922 को हुआ था, उन्हें 2019 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख

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बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने शोक व्यक्त किया. उन्होंने ट्वीट करके कहा कि शिवशहीर बाबासाहेब पुरंदरे अपने व्यापक कार्यों के कारण जीवित रहेंगे. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.

गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ वर्ष पूर्व बाबासाहेब पुरंदरे जी से भेंट कर एक लम्बी चर्चा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. उनकी ऊर्जा और विचार सचमुच प्रेरणीय थे. उनका निधन एक युग का अंत है. उनके परिजनों व असंख्य प्रशंसकों के प्रति संवदेनाएं व्यक्त करता हूं. प्रभु उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें. ॐ शांति

वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ट्वीट करते हुए कहा कि शिवशहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन के साथ, महाराष्ट्र ने साहित्य और कला के क्षेत्र में अपनी चमक खो दी. उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि!

साहित्य में स्थान

पुरंदरे को छत्रपति शिवाजी महाराज के पूर्व-प्रतिष्ठित उत्तराधिकारियों में से एक माना जाता था. पुरंदरे ने 1980 के दशक के मध्य में, शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित नाटक 'जाणता राजा' लिखा और निर्देशन भी किया था. 

12 साल की उम्र में पुरंदरे ने नाना साहब पेशवा के जीवन पर आधारित एक किताब लिखी. 1946 में जब बाबासाहेब 24 वर्ष के थे तो उन्होंने शिवाजी महाराज के जीवन की कहानियों का संकलन 'जल्य थिंग्या' पूरा किया. 

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बाबासाहेब ने शिवाजी और अन्य ऐतिहासिक विषयों से संबंधित 36 पुस्तकें लिखीं. जल्त्य थिंग्या के अलावा, उन्होंने मुज्र्याचे मंकारी, पुरंदर यांची दौलत, शनिवारवद्यतिल शामदान, पुरंदरच्य बुरुजावरुन, पुरंदरयांची नौबत, पुरंदर्यंचा सरकारवाडा और महाराज जैसे ऐतिहासिक सर्वव्यापी भी लिखे.
उन्होंने भूलभुलैया नव रायगढ़, भूलभुलैया नव आगरा, भूलभुलैया नव पन्हालगढ़, भूलभुलैया नव प्रतापगढ़ और भूलभुलैया नव पुरंदर जैसे विभिन्न किलों पर जानकारीपूर्ण पुस्तकें लिखीं.

1962 में उन्होंने शिलंगनाचे सोन और 1973 में शेलारखिंड लिखी. जाने-माने अभिनेता और निर्माता रमेश देव ने पुरंदरे के उपन्यास शेलारखिंड पर सरजा फिल्म बनाई.

बाबासाहेब पुरंदरे की सबसे प्रसिद्ध रचना शिवाजी की जीवनी थी जिसका शीर्षक राजा शिवछत्रपति था. उन्होंने 1952 में 30 साल की उम्र में इसे लिखना शुरू किया और 1956 में इसे प्रकाशित किया. छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और चरित्र पर जबरदस्त जन अपील का यह नाटक 1985 में प्रकाशित हुआ था और उसी वर्ष पहली बार इसका मंचन भी किया गया था.

 

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