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पुणे के प्रोफेसर ने बनाया फर्जी लेटर... किया 'साइंस अवॉर्ड' जीतने का दावा, हुआ गिरफ्तार

आरोपी प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह यादव, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले हैं. उनको पुणे पुलिस ने अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 26 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.

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पुणे पुलिस ने प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का दावा करने के लिए जाली पत्र बनाने वाले केमिस्ट्री प्रोफेसर को गिरफ्तार किया. (सांकेतिक तस्वीर)
पुणे पुलिस ने प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का दावा करने के लिए जाली पत्र बनाने वाले केमिस्ट्री प्रोफेसर को गिरफ्तार किया. (सांकेतिक तस्वीर)

महाराष्ट्र के पुणे स्थित एक कॉलेज में केमिस्ट्री के एसोसिएट प्रोफेसर (40) को कथित तौर पर एक फर्जी पत्र बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि उसे भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चुना गया है. पुणे पुलिस ने सोमवार को इसकी जानकारी दी. 

आरोपी प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह यादव, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले हैं. उनको पुणे पुलिस ने अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 26 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. यह कार्रवाई पुणे के सीएसआईआर-नेशनल केमिकल लेबोरेटरी (CSIR-NCL) के एक अधिकारी की शिकायत के बाद की गई. डीसीपी सोमय मुंडे के अनुसार, विवाद तब शुरू हुआ जब 13 सितंबर, 2025 को एक पत्र शोधकर्ताओं के बीच प्रसारित होने लगा.

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पत्र पर थे केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के फर्जी हस्ताक्षर

इस पत्र में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के फर्जी हस्ताक्षर थे, जिसमें वीरेंद्र सिंह यादव के 2025-26 भटनागर पुरस्कार के लिए चयन की पुष्टि की गई थी. हालांकि, शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार को 2023 में बंद कर दिया गया था और इसे राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार से बदल दिया गया था, जिसके कारण वैज्ञानिक समुदाय में संदेह पैदा हुआ. सीएसआईआर के ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट ग्रुप की जांच में पाया गया कि वीरेंद्र सिंह यादव को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार मिलने के दावे वाला पत्र और उस पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के हस्ताक्षर फर्जी थे. ऐसा कोई भी पुरस्कार विजेता घोषित नहीं किया गया था.

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आरोपी प्रो. ने पत्र के फर्जी होने की बात स्वीकारी

इसके बाद एनसीएल के सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारियों ने वाघोली के उस संस्थान का दौरा किया, जहां वीरेंद्र सिंह यादव ने जाली दस्तावेज प्रस्तुत करने की बात स्वीकारी. जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर संदीप करपे ने बताया कि वीरेंद्र सिंह यादव, जो ऑन्कोलॉजी मेडिसिन पर रिसर्च में लगे हैं और अक्सर मुंबई के एक कैंसर ट्रीटमेंट हॉस्पिटल का दौरा करते हैं, उन्होंने दावा किया कि 9 सितंबर को एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें यह पत्र सौंपा था.

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जालसाजी व धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज

वीरेंद्र सिंह यादव ने कथित तौर पर यह दस्तावेज अपने प्रिंसिपल और सहयोगियों को दिखाया, जिनमें से एक ने इसकी तस्वीर ली और इसे गुरुग्राम में एक परिचित को भेज दिया. उस परिचित ने बाद में इसे एक प्रोफेशनल नेटवर्किंग वेबसाइट पर अपलोड कर दिया, जिसके बाद दिल्ली में अधिकारियों का ध्यान इस ओर गया. पुलिस ने वीरेंद्र सिंह यादव के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया है.

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