मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने अपने समुदाय को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण देने की मांग को लेकर एक बार फिर आनशन शुरू कर दिया है. उन्होंने मंगलवार को अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया. यह एक साल से अधिक समय में उनका छठा अनशन है. उन्होंने जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सरती में आधी रात से आंदोलन शुरू किया.
अपने आंदोलन से पहले पत्रकारों को संबोधित करते हुए जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार पर समुदाय को जानबूझकर आरक्षण नहीं देने का आरोप लगाया और कहा कि मराठा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को आरक्षण मुद्दे को सुलझाने के लिए एक बार और मौका दे रहे हैं. उन्होंने सत्तारूढ़ दलों को चेतावनी भी दी कि अगर समुदाय की मांगें पूरी नहीं की गईं तो उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में इसके परिणाम भुगतने होंगे.
दरअसल, जरांगे मसौदा अधिसूचना के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं, जिसमें कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के 'ऋषि सोयारे' (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता दी गई है और उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि उनके आंदोलन के दौरान मराठा समुदाय के कई सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं.
पूीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा, "मराठा समुदाय मेरे लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकार जानबूझकर आरक्षण नहीं दे रही है. इसके अलावा, वे कहते हैं कि हम राजनीतिक भाषा बोल रहे हैं. अब, मैं राजनीतिक बयान नहीं दूंगा, लेकिन हम उपमुख्यमंत्री फडणवीस को (मुद्दे को सुलझाने के लिए) एक और मौका दे रहे हैं."
फडणवीस का समर्थन करने वाले नेताओं को उनसे बात करनी चाहिए. कार्यकर्ता ने कहा कि समुदाय देख रहा है कि आरक्षण कौन देने जा रहा है.
उन्होंने कहा, "मेरा समुदाय राजनीति में प्रवेश नहीं करना चाहता. लेकिन अगर मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो आगामी विधानसभा चुनावों में होने वाले परिणामों के लिए मुझे दोष न दें. आरक्षण दें, और मैं राजनीतिक बयान नहीं दूंगा. लेकिन अगर हमें आरक्षण नहीं मिला, तो आगामी चुनावों में क्या होगा, इसके लिए मुझे दोष न दें."