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'भाई वीरेंद्र' जैसा ना हो बवाल! महाराष्ट्र में कर्मचारियों के लिए आई प्रोटोकॉल की नई लिस्ट

महाराष्ट्र सरकार ने एक नया GR जारी कर सरकारी कर्मचारियों के लिए MP और MLA के कार्यालय आने पर सम्मान में सीट से खड़ा होना और फोन पर विनम्र भाषा का प्रयोग करना अनिवार्य कर दिया है.इसका उल्लंघन करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी.

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महाराष्ट्र में अधिकारियों के लिए कड़े निर्देश (Photo- ITG)
महाराष्ट्र में अधिकारियों के लिए कड़े निर्देश (Photo- ITG)

महाराष्ट्र के मुख्य सचिव राजेश कुमार द्वारा जारी एक नए सरकारी संकल्प (GR) सुर्खियों में है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है कि जब सांसद (MP) और विधायक (MLA) उनके कार्यालय में आएं तो वे अपनी सीट से खड़े हो जाएं. गुरुवार को जारी किए गए इन व्यापक दिशा-निर्देशों में कर्मचारियों को MP और MLA की बातों को ध्यान से सुनने और उनसे फोन कॉल पर विनम्र भाषा का प्रयोग करने का निर्देश दिया गया है.

यह GR "राज्य विधानमंडल के सदस्यों (विधायकों) और संसद सदस्यों (सांसदों) के प्रति गरिमापूर्ण और शिष्टाचारपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित करने" के लिए जारी किया गया है. यह संकल्प 27 जुलाई, 2015 से 20 अगस्त, 2021 तक जारी किए गए सभी पिछले सर्कुलरों को समेकित करता है ताकि संशोधित, व्यापक मार्गदर्शक सिद्धांत स्थापित किए जा सकें.

 शिष्टाचार और संवाद के कड़े नियम
सम्मान का प्रतीक
: संकल्प में अनिवार्य किया गया है कि जब कोई विधायक या सांसद कार्यालय में प्रवेश करे या बाहर जाए, तो अधिकारी सम्मान के रूप में अपनी सीट से खड़े हों. उन्हें प्रतिनिधियों के साथ पूर्ण शिष्टाचार बरतना होगा, उनकी चिंताओं को ध्यान से सुनना होगा और नियमों के दायरे में सहायता प्रदान करनी होगी.

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फोन पर भाषा: सर्कुलर में अधिकारियों को सभी संचार, विशेषकर फोन कॉल के दौरान, विनम्र और सम्मानजनक भाषा का उपयोग करना जरूरी है.

जवाबदेही और अनुशासन: ये दिशानिर्देश प्रशासन को अधिक विश्वसनीय और जवाबदेह बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और इनका पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

बैठकें और पत्राचार की समय सीमा
बैठक का समय:
निर्वाचित प्रतिनिधियों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, GR ने बैठकों के लिए विशिष्ट समय स्लॉट निर्धारित किए हैं. क्षेत्रीय और जिला प्रमुखों को हर महीने के पहले और तीसरे गुरुवार को दो घंटे का निश्चित समय MLAs, MPs और नागरिकों के साथ निर्धारित बैठकों के लिए अलग रखना होगा. हालांकि, अत्यावश्यक मामलों के लिए, प्रतिनिधियों को कार्यालय समय के दौरान किसी भी समय अधिकारियों से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए.

पत्राचार की समय सीमा: विभागों को विधायकों और सांसदों से प्राप्त सभी पत्रों को दर्ज करने के लिए एक अलग रजिस्टर (भौतिक या डिजिटल) बनाए रखना होगा. सबसे महत्वपूर्ण निर्देश जवाब की समय सीमा है.

 अधिकारियों को अधिकतम दो महीने (60 दिन) के भीतर पत्राचार का जवाब देना होगा. यदि इस अवधि में पूर्ण जवाब नहीं दिया जा सकता है, तो अधिकारी को संबंधित प्रतिनिधि को देरी के बारे में सूचित करना होगा और समाधान के लिए उठाए जा रहे कदमों का विवरण देना होगा.

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सरकारी कार्यक्रमों में प्रोटोकॉल
GR सख्ती से अनिवार्य करता है कि उद्घाटन जैसे सभी महत्वपूर्ण जिला-स्तरीय कार्यक्रमों में स्थानीय विधायकों को अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाए. उनके नाम सही ढंग से मुद्रित होने चाहिए और बैठने की व्यवस्था आधिकारिक वरीयता क्रम (order of precedence) के अनुसार सख्ती से की जानी चाहिए.

क्या था भाई वीरेंद्र प्रकरण
आपको बता दें कि इसी साल जुलाई 2025 में सोशल मीडिया पर बिहार के आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र का एक वीडियो वायरल हुआ था. भाई वीरेंद्र ने बलुआं पंचायत के सचिव संदीप कुमार को फोन किया था. वीरेंद्र ने फोन पर अपना नाम बताया, लेकिन संदीप ने कथित तौर पर उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया और फोन पर "अशिष्ट और अमर्यादित भाषा" का इस्तेमाल किया. इससे वीरेंद्र नाराज हो गए

इस पर भाई वीरेंद्र कहते हैं, 'मैं तुम्हें जूते से मारूंगा. तुम्हें प्रोटोकॉल नहीं पता है.' इस पर पंचायत सचिव भी अड़ जाते हैं. जिस तरह विधायक उन्हें प्रोटोकॉल की नसीहत देते हैं. दोनों के बीच बातचीत का यह ऑडियो तेजी से वायरल हुआ था.

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