महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी अधिकारियों के लिए नई वाहन खरीद नीति लागू कर दी है. वित्त विभाग की ओर से 17 सितंबर 2025 को जारी शासनादेश (जीआर) के अनुसार राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के लिए अब वाहन खरीद पर किसी तरह की कीमत सीमा नहीं होगी. ये शीर्ष अधिकारी अपनी पसंद और सुविधा के अनुसार वाहन चुन सकेंगे.
सरकार ने यह कदम वाहनों की बढ़ती उत्पादन लागत, महंगाई और बीएस-6 मानक वाले नए मॉडलों में तकनीकी बदलावों को देखते हुए उठाया है. वहीं अन्य अधिकारियों के लिए अलग-अलग स्तर पर कीमत की सीमा तय की गई है.
इतने लाख तक की गाड़ी खरीद सकेंगे अधिकारी
कैबिनेट मंत्री और मुख्य सचिव के लिए यह सीमा 30 लाख रुपये रखी गई है. अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रधान सचिव 25 लाख रुपये तक का वाहन खरीद सकेंगे. राज्य सूचना आयुक्त और महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग के सदस्य के लिए यह सीमा 20 लाख रुपये तय की गई है, जबकि विभागाध्यक्ष और संभाग आयुक्त के लिए 17 लाख रुपये रखी गई है. जिला कलेक्टर, पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षक 15 लाख रुपये तक का वाहन खरीद पाएंगे. वहीं राज्य स्तरीय वाहन समीक्षा समिति की स्वीकृति वाले अन्य अधिकारियों को 12 लाख रुपये तक की सीमा दी गई है.
बेस प्राइस पर होगी कीमत की गणना
नई गाइडलाइन में यह भी साफ किया गया है कि कीमत की गणना केवल वाहन की बेस प्राइस पर होगी. इसमें जीएसटी, मोटर वाहन कर और पंजीकरण शुल्क शामिल नहीं होंगे. नीति में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रावधान किया गया है. अब अधिकारी अपने तय सीमा से 20 प्रतिशत अधिक कीमत तक का इलेक्ट्रिक वाहन खरीद सकेंगे.
इसके अलावा आपदा प्रबंधन क्षेत्र में काम करने वाले फील्ड अफसरों को मल्टी-यूटिलिटी व्हीकल (एमयूवी) खरीदने की सुविधा दी गई है, जिसकी सीमा 12 लाख रुपये तय की गई है. यह नई नीति 17 सितंबर 2025 से प्रभावी हो गई है.