महाराष्ट्र के लातूर जिले में लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले एक महीने में जिले में 32 मवेशियों की मौत हो चुकी है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 18 जुलाई से अब तक कुल 411 पशु इस बीमारी से संक्रमित पाए गए हैं. इनमें से 200 पूरी तरह ठीक हो चुके हैं, जबकि 179 का उपचार जारी है.
जानवरों के लिए जानलेवा है लंपी बीमारी
लंपी स्किन डिजीज पशुओं के लिए बेहद खतरनाक मानी जाती है. इस बीमारी में मवेशियों की त्वचा पर दर्दनाक गांठें (nodules) बन जाती हैं, साथ ही कमजोरी, भूख कम लगना और दुग्ध उत्पादन में गिरावट जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं. बीमारी को फैलने से रोकने के लिए जिला प्रशासन ने पशु बाजारों, पशुओं की खरीद-बिक्री और उनके परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया है.
इसी बीच शुक्रवार को महाराष्ट्र में बैलपोला (Bail Pola) का पर्व मनाया जाना है, जो किसानों द्वारा बैल और बैलों के प्रति आभार प्रकट करने के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गांव-गांव में सजाए गए बैलों की शोभायात्राएं निकलती हैं और बड़े स्तर पर उत्सव का आयोजन होता है, लेकिन इस बार जिला प्रशासन ने खास अपील की है कि किसान यह पर्व अपने पशुशालाओं तक ही सीमित रखें और शोभायात्राओं या बड़े आयोजनों से बचें.
जानवरों को संक्रमण से कैसे बचाएं ?
लातूर की जिलाधिकारी वर्षा ठाकुर-घुगे और जिला परिषद के सीईओ राहुल कुमार मीणा ने आदेश जारी कर कहा कि इस बार बैलपोला पर्व केवल पशुशालाओं में मनाया जाए. किसानों से अपील की गई है कि वो भीड़भाड़ और जुलूस से परहेज करें ताकि बीमारी का संक्रमण न फैले.
पशुपालकों को पशुशालाओं में स्वच्छता बनाए रखने, गोबर और मूत्र का सही निस्तारण करने, नमी से बचाव करने और नियमित रूप से कीटनाशक और जीवाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करने की हिदायत दी गई है. साथ ही शेड्स के आसपास जमा पानी को हटाने पर जोर दिया गया है ताकि मच्छर और मक्खियों का प्रजनन न हो सके.
पशुपालन विभाग के उप आयुक्त डॉ. श्रीधर शिंदे ने कहा, 'लंपी स्किन डिजीज पर काबू पाने के लिए पशुपालकों का सहयोग बेहद जरूरी है, इस बैलपोला पर हमें जुलूस और मवेशियों की अदला-बदली से बचना होगा, पशुओं की सुरक्षा ही हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है.'