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पिछले साल मंत्री के खिलाफ धरने पर बैठा था किडनैपर रोहित आर्य, समझें- क्या है 2 करोड़ की बकाया रकम का पूरा आरोप

मुंबई में बच्चों को बंधक बनाने वाला रोहित आर्य दरअसल शिक्षा विभाग से नाराज था. उसका दावा था कि ‘माझी शाळा, सुंदर शाळा’ प्रोजेक्ट का कॉन्सेप्ट उसी का था, लेकिन सरकार ने उसका आइडिया और फिल्म के राइट्स इस्तेमाल कर लिए, न क्रेडिट दिया न भुगतान. इसी विवाद से जन्मी उसकी नाराजगी अब जांच के घेरे में है.

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पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर और रोहित आर्य (Photo: ITG)
पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर और रोहित आर्य (Photo: ITG)

मुंबई में बच्चों को बंधक बनाने वाला रोहित आर्य दरअसल पिछले एक साल से सरकारी सिस्टम और शिक्षा विभाग से नाराज चल रहा था. उसका दावा था कि महाराष्ट्र सरकार की 'माझी शाळा, सुंदर शाळा' योजना का कॉन्सेप्ट उसी का बनाया हुआ था. यह विचार उसकी बनाई फिल्म 'लेट्स चेंज' पर आधारित था, जिसे सरकार ने 2022 में लागू किया.

रोहित का आरोप था कि सरकार ने उसका आइडिया, कॉन्सेप्ट और फिल्म के राइट्स इस्तेमाल किए, लेकिन न तो क्रेडिट दिया, न भुगतान. उसका कहना था- 'उन्होंने मुझसे काम करवाया और फिर मेरी मौजूदगी तक नकार दी.'

'न पैसा मिला, न नाम'

बकौल रोहित, तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने उसकी सराहना करते हुए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी और ₹2 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था. लेकिन प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद न पैसा मिला, न नाम.

इसी को लेकर रोहित आर्य ने कई बार विरोध प्रदर्शन और धरने किए. एक बार तो उसने लगभग एक महीने तक अनशन किया था. पुरानी रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंत्री केसरकर ने उसे भरोसा दिया था कि उसकी मांगें मानी जाएंगी, लेकिन जॉइंट सेक्रेटरी महाजन ने जांच का हवाला देकर भुगतान रोक दिया.

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आत्महत्या को लेकर पहले दिया था बयान

अपने एक पुराने बयान में रोहित ने कहा था, 'अगर मैंने आत्महत्या की, तो दीपक केसरकर, उनके निजी सचिव मंगेश शिंदे, तत्कालीन शिक्षा आयुक्त सूरज मंडरे, तुषार महाजन और समीर सावंत इसके जिम्मेदार होंगे.'

रोहित का कहना था कि उसे न सिर्फ सिस्टम ने नजरअंदाज किया, बल्कि उसकी मेहनत और सोच को पूरी तरह छीन लिया गया. यही अपमान और आर्थिक अन्याय शायद उसे उस हद तक ले गया, जहां उसने मुंबई में बच्चों को बंधक बनाकर अपनी आवाज सुनाने की कोशिश की.

'रोहित को 2 करोड़ देने का समझौता नहीं हुआ था'

रोहित के इन आरोपों पर महाराष्ट्र के शिक्षा सचिव रंजीत सिंह देओल की सफाई भी आई है. उन्होंने कहा, 'स्कूलों में स्वच्छता निगरानी परियोजना के लिए रोहित आर्य को 2 करोड़ रुपये देने का कोई समझौता नहीं हुआ था. उन्होंने स्वेच्छा से काम किया और इस काम के लिए उन्हें उचित प्रमाण पत्र भी दिया गया. इसके बाद, वे 'माज़ी शाला सुंदर शाला' कार्यक्रम को लागू करने के लिए सरकार से बातचीत कर रहे थे, लेकिन वह कार्यक्रम अंतिम रूप नहीं ले पाया. महाराष्ट्र सरकार की ओर से रोहित आर्य को कोई बकाया नहीं था.

विभाग ने दिए थे पैसे- केसरकर

वहीं इस पर मंत्री दीपक केसरकर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रोहित आर्य का स्वच्छता मॉनिटर नाम का एक कॉन्सेप्ट था और उसे मेरे स्कूल की सुंदर शाला में भी काम मिला था. उसने विभाग से सीधे पैसे लिए थे.

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'बंधक बनाना गलत'

उसे विभाग आकर इस मामले को सुलझाया जाना चाहिए था. किसी को इस तरह बंधक बनाना गलत है. केसरकर ने यह भी कहा कि जब वह मंत्री थे तभी कुछ कॉन्ट्रैक्ट रोहित को दिए गए थे.

ऑडिशन के लिए बुलाकर किया किडनैप

बता दें कि पवई के RA स्टूडियो में रोहित आर्य ने 17 बच्चों समेत कुल 19 लोगों को किडनैप कर लिया था. पवई के RA स्टूडियो में बच्चों को ऑडिशन के लिए बुलाया गया था लेकिन वहां उन्हें बंधक बना लिया गया. बच्चों को बंधक बनाने की जानकारी जैसे ही मुंबई पुलिस को मिली, पुलिस तुंरत हरकत में आई और बच्चों को सकुशल बचा लिया.

इस बीच हित आर्य ने अपने पास मौजूद एयर गन से पुलिस पर गोलियां चलाईं और उसके बाद पुलिस अधिकारियों को उसे नियंत्रित करने के लिए उस पर गोलियां चलानी पड़ीं, जिससे वह घायल हो गया. पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल में डॉक्टरों ने रोहित को मृत घोषित कर दिया. 

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