पुणे एटीएस की इस लापरवाही पर यकीन करना मुश्किल है, पर आप कोशिश कीजिएगा. आतंकवाद रोधी शाखा ने एक संदिग्ध आतंकी को पकड़ा, उसे उसी का स्केच दिखाया और पहचानने को कहा. आतंकी ने स्केच में दिख रहे शख्स को, जो कि वह खुद था, पहचानने से इनकार कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने उसे छोड़ दिया. यह कोई मामूली आतंकी नहीं, इंडियन मुजाहिदीन के मीडिया और कम्युनिकेशन विंग का मुखिया एजाज शेख था. पुणे एटीएस की इस भूल को पुलिस इतिहास की सबसे बड़ी गलतियों में से एक माना जा रहा है. अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने यह खबर दी है.
याद रहे कि सुरक्षा एजेंसी इंडियन मुजाहिदीन के प्रमुख यासीन भटकल के साथ भी ऐसी ही गलती कर चुकी है. हालांकि बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. फिलहाल वह जेल में है. 27 साल के शेख को दिल्ली पुलिस की स्पेशल शाखा ने 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किया था. वह इंडियन मुजाहिदीन को संसाधन मुहैया कराने वाले प्रमुख लोगों में शुमार किया जाता है. जामा मस्जिद, पुणे जर्मन बेकरी और वाराणसी शीतला घाट धमाकों के बाद उसने ही मीडिया संस्थानों को ईमेल भेजे थे.
अपना ही स्केच पहचानने से कर दिया इनकार!
शेख को दिसंबर 2010 में पुणे एटीएस ने दो बार हिरासत में लिया था. पहली बार उसे सिर्फ 'सख्त चेतावनी' देकर छोड़ दिया गया. फरवरी 2014 में वह नेपाल भाग
गया. दूसरी बार जब पुणे एटीएस ने उसे पकड़ा तो उसे एक पासपोर्ट साइज तस्वीर और स्केच देकर संदिग्ध की पहचान करने को कहा गया. उसे जो स्केच दिखाया
गया वह खुद उसी का था, लेकिन उसने जवाब दिया कि स्केच में दिख रहे शख्स को उसने कभी नहीं देखा. इसके बाद अधिकारियों ने उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया और
कहा कि अगर उसे इस बारे में कोई सूचना मिले तो वह जरूर बताए. अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी खबर के मुताबिक, सूत्रों की मानें तो शेख ने खुद
खुफिया एजेंसी और स्पेशल सेल की पूछताछ के दौरान यह खुलासा किया है.
फर्जी आईडी बनाता था शेख
पुणे एटीएस और दूसरी एजेंसियां शेख की गतिविधियों पर लंबे समय से नजर रखे हुई थीं. 12 फरवरी 2014 को उससे एटीएस अधिकारियों ने पूछताछ की थी. यरवडा
ब्रिज पर वह एटीएस अधिकारियों से मिला. अखबार में छपी खबर के मुताबिक उसने बताया, 'अफसर ने मुझे दो फोटो दिखाए. एक स्केच मेरा था और दूसरा पासपोर्ट
साइज फोटो था. फोटो मैं पहचान नहीं पाया, लेकिन स्केच काफी हद तक मुझसे मिलता-जुलता था. मैंने सीधे मना कर दिया कि मैं इसे नहीं जानता. मुझे कहा गया कि
अगर मुझे इनमें से किसी का पता लगे तो उन्हें तुरंत बताऊं.' इसके बाद शेख को छोड़ दिया गया. 15 फरवरी को आईएम आतंकी मोहसिन शेख ने उसे कहीं और चले
जाने के लिए कहा. बताया जाता है कि शेख आतंकियों के लिए फर्जी आईडी बनाता था, जिस पर वे सिम कार्ड लेते थे और हवाला का पैसा उठाते थे.