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'महाराष्ट्र में चुनाव लड़ने के लिए हमें 100 सीटें मिलनी चाहिए...', शिंदे गुट के शिवसेना नेता की मांग

एनएससीआई कैंपस में शिंदे गुट की ओर से अविभाजित शिवसेना के 58वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह में राज्य के पूर्व मंत्री रामदास कदम ने कहा, 'हमें चुनाव लड़ने के लिए 100 सीटें मिलनी चाहिए और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम उनमें से 90 सीटें जीतें.'

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रामदास कदम
रामदास कदम

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनकी पार्टी को महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिलना चाहिए. शिवसेना महायुति गठबंधन का हिस्सा है, जिसमें भाजपा और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी भी शामिल है. राज्य में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

एनएससीआई कैंपस में शिंदे गुट की ओर से अविभाजित शिवसेना के 58वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह में राज्य के पूर्व मंत्री रामदास कदम ने कहा, 'हमें चुनाव लड़ने के लिए 100 सीटें मिलनी चाहिए और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम उनमें से 90 सीटें जीतें.'

राज्य के मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल ने हाल ही में कहा था कि सीट बंटवारे के तहत उनकी पार्टी को 80-90 सीटें मिलनी चाहिए.

भाजपा और अजित पवार पर साधा निशाना
शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के लिए सहयोगी दल भाजपा और अजित पवार पर निशाना साधा. रामदास कदम ने कहा कि अगर उन्होंने चुनाव से दो महीने पहले अपने 15 उम्मीदवारों की घोषणा की होती, तो उन्हें बेहतर नतीजे मिल सकते थे और वे सभी सीटों पर जीत सकते थे. 

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उन्होंने कहा, भाजपा ने हमें कुछ मौजूदा उम्मीदवारों को बदलने के लिए मजबूर किया, जिसका हम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. जैसे ही हमने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की, भाजपा ने उन सीटों पर अपना दावा ठोक दिया. अगर हमें मौका दिया जाता, तो हेमंत पाटिल, भावना गवली जीत कर संसद पहुंच सकते थे. साथ ही, हमारे तीसरे साथी ‘दादा’ (अजित पवार) का जल्दबाजी में स्वागत किया गया. रामदास कदम ने तंज कसते हुए कहा कि अगर उनकी एंट्री में देरी होती, तो अच्छा होता.

यूबीटी सेना नेताओं के संपर्क में छगन भुजबल
आजतक से जुड़े सुत्रों ने दावा किया है कि यूबीटी सेना के एक वरिष्ठ नेता ने पिछले सप्ताह एनसीपी नेता और मंत्री छगन भुजबल से मुलाकात की. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी नेतृत्व से भुजबल के नाराज होने की खबरों के बीच यह मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है. अपने समर्थकों की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद छगन भुजबल अलग-अलग विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने सोमवार को मुंबई में ओबीसी मोर्चा 'समता परिषद' के नेताओं की एक बैठक बुलाई और शक्ति प्रदर्शन किया. हालांकि, भुजबल ने पार्टी में अपने नाखुश होने के दावों का खंडन किया.

सूत्रों के अनुसार, यूबीटी सेना के नेताओं और छगन भुजबल के बीच पार्टी में उनकी स्वीकृति और उनकी वरिष्ठता के अनुसार उन्हें एडजस्ट करने पर प्रारंभिक बातचीत चल रही है. साथ ही भुजबल ने शिंदे सेना के मौजूदा विधायक सुहास कांडे के खिलाफ अपने और अपने भतीजे समीर भुजबल के लिए येओला और नांदगांव विधानसभा क्षेत्रों पर दावा किया है.

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हालांकि, यूबीटी सेना के नेता संजय राउत ने कहा कि ऐसी बातों पर खुलकर चर्चा नहीं की जाती है और यह चारदीवारी के अंदर ही रहती है. दिलचस्प बात यह है कि राउत ने कहा कि शिवसेना छोड़ने वाला कोई भी व्यक्ति खुश या चैन से नहीं रहा. अगर भुजबल शिवसेना में होते तो अब तक सीएम बनने का तिलक लगा चुके होते. अब नारायण राणे और एकनाथ शिंदे समेत सभी बेचैन आत्माओं की तरह घूम रहे हैं.

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