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कांग्रेस की उद्धव ठाकरे से मांग, रेल टिकट शुल्क में रियायत दिलाए सरकार

केंद्र की ओर से अभी हाल में कहा गया था कि दूसरे राज्यों में फंसे लोगों के लिए ट्रेन का इंतजाम होगा लेकिन यात्रियों को टिकट का पैसा चुकाना होगा. इस फैसले की आलोचना हो रही है, खासकर कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां इसे संकट के वक्त में सही फैसला नहीं बता रही हैं.

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कुछ प्रदेशों में प्रवासियों का आना शुरू हो गया है (PTI)
कुछ प्रदेशों में प्रवासियों का आना शुरू हो गया है (PTI)

  • यात्रियों से टिकट का पैसा वसूलने की आलोचना
  • केंद्र के इस फैसले पर सवाल उठा चुकी है कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र सरकार से मांग की है कि उन लोगों के टिकट शुल्क में राहत देने की योजना बनाई जाए जो प्रवासी मजदूर, श्रमिक या छात्र हैं और महाराष्ट्र में फंसे हैं. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितिन राउत ने इसके लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र भी लिखा है. कांग्रेस फिलहाल केंद्र सरकार की इस बात के लिए आलोचना कर रही है कि कोरोना जैसी मुश्किल घड़ी में भी अपने घरों को जाने वाले लोगों से टिकट का पैसा वसूला जा रहा है.

केंद्र की ओर से अभी हाल में कहा गया था कि दूसरे राज्यों में फंसे लोगों के लिए ट्रेन का इंतजाम होगा लेकिन यात्रियों को टिकट का पैसा चुकाना होगा. इस फैसले की आलोचना हो रही है, खासकर कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां इसे संकट के वक्त में सही फैसला नहीं बता रही हैं. इन पार्टियों की मांग है कि सरकार टिकट का पैसा वसूलने का निर्णय वापस ले ताकि बिना रोजगार वाले लोगों को कुछ राहत मिल सके.

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लॉकडाउन का दूसरा फेज 3 मई को खत्म हो गया है और तीसरे फेज में इसे 14 दिन और बढ़ाते हुए 17 मई तक कर दिया गया. पिछले महीने एक बैठक में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि अभी निजी विमानन कंपनियां हवाई यात्रा के टिकट न बेचें. उनका ये बयान तब आया था जब कुछ विमानन कंपनियों द्वारा 4 मई के आगे के फ्लाइट टिकट की बुकिंग शुरू कर दी गई थी.

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कुछ दिन पहले लॉकडाउन 3.0 को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला किया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर 17 मई 2020 तक लॉकडाउन 3.0 लागू कर दिया. न प्रधानमंत्री सामने आए, न राष्ट्र के नाम संबोधन दिया, न गृहमंत्री ही आए यहां तक कि कोई अधिकारी भी नहीं आया. आया तो केवल एक आधिकारिक आदेश. आगे सुरजेवाला ने कहा, 'देश को न कुछ बताया, न सुझाया, न रास्ता बताया, न समयसीमा बताई, न देशवासियों की मन की बात सुनी और न अपनी कही, ना देश के मन में उठ रहे लाखों सवाल का जवाब दिया'.

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