जीवनसाथी के चरित्र पर संदेह के चलते अपनी पत्नी के गुप्तांग पर कम से कम चार साल तक क्रूरतापूर्वक ताला लगाकर रखने के जुर्म में अदालत ने 38 वर्षीय व्यक्ति को 10 साल के सश्रम कारावास और 1,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी.
अपर सत्र न्यायाधीश अवनींद्र कुमार सिंह ने बहुचर्चित मामले में सोहनलाल (38) को भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 326 (खतरनाक हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाना) और पत्नी पर पति की क्रूरता के तहत दोषी करार देते हुए सजा सुनायी.
अदालत ने कहा, सोहनलाल के खिलाफ यह आरोप प्रमाणित है कि उसने अपनी पत्नी के गुप्तांग पर सूजे (एक नुकीला औजार) से छेद करके ताला लगाकर उसे गंभीर चोट पहुंचायी और उसके चरित्र पर शक करते हुए उसे मानसिक प्रताड़ना देकर क्रूरता की.’
अभियोजन पक्ष की वकील ज्योति तोमर ने हालांकि बताया कि जीवनसाथी की क्रूरता की शिकार 40 वर्षीय महिला अपने पति के खिलाफ लगाये गये संगीन आरोपों से इंकार करते हुए खुद के पुराने बयानों से अदालत में पलट गयी थी लेकिन परिस्थितिजन्य सबूतों और स्वतंत्र गवाहों के बूते अभियोजन पक्ष अदालत के सामने यह साबित करने में सफल रहा कि पेशे से ऑटो मैकेनिक सोहनलाल ने अपनी पत्नी के चरित्र पर शक के चलते कम से कम चार साल तक उसके गुप्तांग पर ताला लगाकर रखा और वह इस ताले को समय-समय पर खोलता और बंद करता रहा.
इस मामले का खुलासा 16 जुलाई 2012 को हुआ, जब लम्बे वक्त से अपने पति की क्रूरता झेल रही महिला ने चूहे मारने वाली दवा पीकर खुदकुशी की कोशिश की और उसे शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में भर्ती कराया गया. इस महिला के पांच बच्चे हैं.
एमवायएच की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विभा मौजेस ने अदालत में गवाही देते हुए बताया कि उन्होंने 16 जुलाई 2012 को अस्पताल में इस महिला के इलाज के दौरान पेशाब की नली लगाते समय देखा कि उसके गुप्तांग पर ताला जड़ा हुआ है.
डॉ. विभा ने अदालत में अपने बयान में कहा, ‘जब इस ताले के बारे में मरीज से जानकारी ली गयी, तो उसने बताया कि उसके पति ने चार साल पहले उसे गांजा पिलाकर बेहोश कर दिया था. इसके बाद एक नुकीले औजार से छेद करके उसके गुप्तांग पर ताला लगा दिया था.’ अभियोजन की गवाह ने बताया कि उसने पुलिस की मुहैया करायी गयी चाबी से महिला के गुप्तांग पर लगा ताला खोला था.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक सोहनलाल रोज सुबह काम पर जाने से पहले अपनी पत्नी के गुप्तांग पर ताला लगा देता था. रात को काम से लौटने के बाद वह यह ताला खोल देता था. सोहनलाल इस ताले की चाबी हमेशा अपने पास रखता था.