झारखंड के पुलिस विभाग पर टेंट खरीद में घोटाले का आरोप लगा है. आरोप के मुताबिक आपूर्तिकर्ताओं ने ऊंची दर पर टेंट की सप्लाई की है. पुलिस मुख्यालय को भेजे गए इस शिकायत पत्र में कहा गया है कि साल 2016 में डीजीएसऐंडडी दर पर इसी टेंट की खरीद झारखंड पुलिस में ही 27 हजार रुपए प्रति की दर से की गई थी, लेकिन बाद में टेंडर के जरिए इसे 37 हजार रुपए प्रति टेंट की दर से खरीदा गया. यानी प्रति टेंट 10 हजार रुपए ज्यादा का खर्च किए गए. गौरतलब है कि इस साल करीब सात करोड़ के टेंट ख़रीदे गए हैं. वहीं पुलिस मुख्यालय के अधिकारी आरोपों को नकार रहे है.
विवादों से घिरा रहा है झारखंड पुलिस मुख्यालय
झारखंड पुलिस मुख्यालय का विवाद से चोली दामन का रिश्ता रहा है. कभी फर्जी नक्सल सरेंडर तो कभी फर्जी एनकाउंटर. दरअसल राज्य पुलिस पर नक्सली सरेंडर के मामलो में इतने आरोप लग चुके हैं कि अब नक्सल सरेंडर के दौरान होने वाले कार्यक्रम स्क्रिप्टेड लगते हैं. हाल यह है कि झारखंड हाई कोर्ट भी नक्सली सरेंडर मामले में संज्ञान लेकर गृह विभाग से जबाब-तलब कर चुका है.
अब नई कड़ी में इस बार पुलिस मुख्यालय पर टेंडर में गड़बड़ी कर टेंट की खरीद में घोटाले का आरोप लगा है. गृह विभाग को मिले शिकायती पत्र में टेंडर में गड़बड़ी के कई अन्य बिंदुओं का भी उल्लेख किया गया है. यह भी कहा गया है कि आपूर्तिकर्ता ने पुलिस मुख्यालय में गहरी पैठ होने के कारण ऐसा किया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए गृह विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं. वहीं विपक्ष सीधे-सीधे मुख्यमंत्री पर निशाना साध रहा है, क्योंकि गृह विभाग मुख्यमंत्री के जिम्मे है. JMM के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य के मुताबिक गृह विभाग का काम लॉ एवं ऑर्डर देखना नहीं बल्कि वित्तीय घोटाले करना रह गया है.
गृह विभाग ने जांच के आदेश दिए
टेंट एक्सटेंबल की खरीद में शिकायत मिलने के बाद गृह विभाग ने 21 जून 2017 को एक पत्र पुलिस मुख्यालय को भेजा है. विभागीय उप सचिव अर्चना मेहता की ओर से भेजे गए पत्र में मुख्यालय के निविदा संख्या 23/2016-17 द्वारा टेंट एक्सटेंबल की खरीद से संबंधित टेंडर में अनेक प्रकार की अनियमितताएं बरते जाने का जिक्र है. ऐसे में टेंडर में कथित अनियमितता की बिंदुवार जांच करते हुए जांच प्रतिवेदन विभाग को शीघ्र उपलब्ध कराने की बात कही गई है. वहीं पुलिस मुख्यालय ऐसे किसी भी घोटाले के आरोपों से इंकार कर रहा है.
आरोप गंभीर है
दरअसल पुलिस मुख्यालय पर लगे आरोप काफी गंभीर हैं. आरोप के मुताबिक सप्लायर ने कानपुर के चार मैन्युफैक्चरर्स को झांसे में लेकर झारखंड में अपने सगे-संबंधियों और मिलने-जुलने वालों को ऑथराइज्ड डीलर और टेंडरर बनाकर मनमुताबिक ऊंचे दामों में टेंडर डाला. इतना ही नहीं टेंडर डेट के बाद इसका सैंपल मंगवाया गया और उसमें से कुछ नमूने काटे गए, लेकिन यहां पर भी टेस्ट सैंपल वापस कर दिया गया, जिसे नियमानुसार पुलिस विभाग को अपनी कस्टडी में रखना चाहिए था ताकि सप्लाई के समय गुणवत्ता का मिलान किया जा सके. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.