हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने गुरुवार को 6 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. जिन्होंने राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी. अयोग्य विधायकों ने अपनी अयोग्यता के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने कहा कि उन्हें दलबदल विरोधी कानून के तहत कैसे अयोग्य ठहराया जा सकता है.
बता दें कि अयोग्य ठहराए गए विधायकों में राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, देविंदर कुमार भुट्टू, रवि ठाकुर और चेतन्य शर्मा हैं. बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद सदन में विधायकों की संख्या 68 से घटकर 62 हो गई है, जबकि कांग्रेस के विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 हो गई है.
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है कि विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है, जिसका उद्देश्य दलबदल पर अंकुश लगाना है. एक संवाददाता सम्मेलन में 6 बागी विधायकों की अयोग्यता की घोषणा करते हुए हिमाचल स्पीकर ने कहा कि वे दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने व्हिप का उल्लंघन किया.
राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट देने वाले ये अयोग्य विधायक बजट पर मतदान के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे. इसके बाद हिमाचल प्रदेश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने मंगलवार शाम को लोकसभा स्पीकर के समक्ष एक याचिका दायर कर इन विधायकों को सदन में उपस्थित रहने और बजट के लिए मतदान करने के व्हिप का उल्लंघन करने पर दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की मांग की थी.
हिमाचल स्पीकर ने विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उन्हें सुनवाई के लिए बुधवार दोपहर 1.30 बजे उपस्थित होने को कहा. ये विधायक मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद पंचकुला के लिए रवाना हो गए थे और बुधवार को सुनवाई के लिए पहुंचे. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद स्पीकर ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया और गुरुवार को इसकी घोषणा की.
बागी कांग्रेस विधायकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने दलील दी थी कि इन विधायकों को केवल कारण बताओ नोटिस दिया गया था. न याचिका की प्रति दी गई थी न ही अटैचमेंट दिया गया. उन्होंने कहा कि नोटिस का जवाब देने के लिए 7 दिन का समय अनिवार्य था, लेकिन कोई समय नहीं दिया गया.