शिमला में चार साल के युग गुप्ता की 2014 में हुई हत्या के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मृतक के परिवार और सैकड़ों नागरिकों ने गुरुवार को विरोध मार्च निकाला. हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों में से तेजिंदर पाल सिंह को बरी कर दिया, जबकि चंदर शर्मा और विक्रांत बक्षी को दी गई मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया. सत्र न्यायालय ने सितंबर 2018 में तीनों को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी.
दरअसल, चार वर्षीय युग गुप्ता को 14 जून 2014 को राम बाजार क्षेत्र से अगवा किया गया था. अपहरणकर्ताओं ने परिवार से 3.6 करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की थी. अगस्त 2016 में युग के कंकाल नगर निगम के बारहरी जलाशय से पाए गए थे. इस हत्या ने उस समय पूरे राज्य में जनाक्रोश और विरोध को जन्म दिया.
विरोध मार्च का दृश्य
गुरुवार को विरोध मार्च में युग के माता-पिता, अन्य परिवारजन और नागरिक काले पट्टी बांधकर सड़कों पर उतरे. उन्होंने मृतक बच्चे की तस्वीरें और बैनर उठाए रखे, जिन पर लिखा था, “युग को इंसाफ दिलाने के लिए प्रदर्शन.”
युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा, “11 साल बीत गए और हमें न्याय नहीं मिला. हम सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे और हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे.”
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “मजबूत साक्ष्य होने के बावजूद एक आरोपी बरी कर दिया गया. हम अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर हैं. अब कानून पर हमारा विश्वास कैसे रहेगा?”
युग हत्या केस की टाइमलाइन-
-14 जून 2014: युग राम बाजार से अगवा
-14 जून 2014: पिता विनोद गुप्ता ने सदर थाना में गुमशुदगी दर्ज कराई
-27 जून 2014: परिवार से 3.6 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई
-14 अगस्त 2014: मामला CID को सौंपा गया
-29 जनवरी 2016: नगर निगम कर्मचारियों ने बारहरी जलाशय से युग के कंकाल की अवशेष पाई
-सितंबर 2018: सत्र न्यायालय ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया और मृत्युदंड सुनाया
-23 सितंबर 2025: हाईकोर्ट ने दो आरोपियों की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया, तीसरे आरोपी को बरी किया
जलाशय और पीलिया का विवाद
कंकाल मिलने के बाद कुछ लोगों ने पीलिया फैलने की आशंका जताई थी. उस समय के पूर्व उपमहापौर टेकिंदर पंवार ने कहा, “यह सही नहीं कि इन्हें जोड़ा जाए. पीलिया का फैलाव बच्चे के कंकाल से संबंधित नहीं था. बारहरी क्षेत्र में पीलिया के मामले नहीं आए थे.”
उन्होंने बताया कि नगर निगम द्वारा नियमित रूप से जलाशयों की सफाई की जाती रही है और 2016 में भी इसी प्रक्रिया के दौरान अवशेष मिले.