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संविधान और आजादी के नाम पर बढ़ रही धार्मिक कट्टरता चिंता का विषय: RSS

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने यहां रोजगार के मुद्दे को लेकर भी चिंता जतायी. आरएसएस ने देश में बढ़ती बेरोजगारी के सामने देश में रोजगार के नये आयाम को बढ़ाने की बात की. इसके अलावा कई मामलों पर चर्चा की गई.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेश की गयी आरएसएस की वार्षिक रिपोर्ट
  • रोजगार के मुद्दे पर भी चिंता जतायी

गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित आरएसएस की मीटिंग में संघ के शीर्ष निकाय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक तीन दिवसीय बैठक में कई ऐसे फैसले लिए गये जो आरएसएस को 2023-24 में होने वाले 100 साल की तैयारी के तौर पर किए गये.

यहां आरएसएस की वार्षिक रिपोर्ट पेश की गयी, इस रिपोर्ट में कहा गया कि हिंदू समाज में ही विभिन्न विभाजनकारी प्रवृत्तियों को उभारकर समाज को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है. इस रिपोर्ट में धार्मिक कट्टरता को लेकर चिंता जतायी गयी. साथ ही कहा गया कि देश में धार्मिक कट्टरता के मामले फिर से बढ़ रहे हैं. आरएसएस के सहकार्यवाहक दत्तात्रय होसबले ने कहा कि कर्नाटक का हिजाब विवाद हो या फिर केरल में हिंदू हत्या का, ये सभी चिंता जनक मुद्दे हैं. 
 
आरएसएस ने रोजगार के मुद्दे को लेकर भी चिंता जतायी. आरएसएस ने देश में बढ़ती बेरोजगारी के सामने देश में रोजगार के नये आयाम को बढ़ाने की बात की. साथ ही कहा कि एक समुदाय के जरिए एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी तंत्र में प्रवेश करने की साजिश को अंजाम दिया जा रहा है. साथ ही कहा है कि देश में विभाजनकारी तत्वों के बढ़ने की चुनौती भी खतरनाक है. 
 
वहीं यूपी के चुनाव में संगठन की भूमिका पर आरएसएस ने कहा कि हमारा सरकार से कोई लेना देना नहीं है. तो वहीं रिपोर्ट में हिन्दुओं के निरंतर और सुनियोजित धर्मातरण के बारे में भी चिंता जताई गई. इसके अलावा मीटिंग में चिंता जताते हुए कहा गया कि कुछ राज्यों में सुनियोजित तौर पर धर्मातरण करवाया जा रहा है.

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