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'फूलों की डिलीवरी पूरी कर लौट रहा हूं...', गुजरात में रोपवे हादसे से पहले बेटे ने मां को किया था आखिरी कॉल

गुजरात के पंचमहल जिले के पावागढ़ पहाड़ी पर शनिवार को हुए रोपवे हादसे में छह लोगों की मौत हो गई. मृतकों में फूल सप्लाई करने वाले सुरेश माली भी शामिल थे. उनकी मां ने बेटे के आखिरी फोन कॉल को याद कर भावुक बयान दिया. हादसा रोपवे की तार टूटने से हुआ.

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इस हादसे में छह लोगों की जान चली गई थी- (File Photo: ITG)
इस हादसे में छह लोगों की जान चली गई थी- (File Photo: ITG)

गुजरात के हलोल की जयहबेन माली अपने इकलौते बेटे सुरेश माली को याद कर बेसुध हो गईं. सुरेश की मौत शनिवार को पंचमहल जिले की पावागढ़ पहाड़ी पर रोपवे हादसे में हो गई. घटना से कुछ घंटे पहले उन्होंने मां को फोन कर फूलों की डिलीवरी पूरी करने और जल्द घर लौटने की बात कही थी.

फोन कॉल के बाद टूटा संपर्क
जयहबेन ने बताया कि दोपहर करीब एक बजे सुरेश ने उन्हें फोन किया और बताया कि वह फूलों का बैग भेज चुका है और लौट रहा है. इसके बाद उन्होंने दोबारा फोन मिलाया, लेकिन पहले मोबाइल स्विच ऑफ मिला और फिर किसी ने रिसीव नहीं किया. कुछ देर बाद उन्हें बेटे की मौत की खबर मिली.

अचानक टूटा रोपवे
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा अचानक हुआ. एक ऑपरेटर ने बताया कि मौसम में धुंध थी और दृश्यता कम थी. इसी दौरान रोपवे का तार टूट गया और ट्रॉली नीचे गिर पड़ी. अधिकारी ने कहा कि यह घटना इतनी अचानक हुई कि किसी को समझने का मौका ही नहीं मिला.

छह लोगों की मौत
स्थानीय विधायक जयरत्नसिंह परमार ने बताया कि रोपवे का इस्तेमाल पहाड़ी के ऊपर सामग्री पहुंचाने के लिए किया जा रहा था. इसी दौरान पूरी ट्रॉली टूटकर नीचे आ गिरी और टावर से टकरा गई. हादसे में अंदर मौजूद सभी छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.

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मृतकों की पहचान
पुलिस अधीक्षक हरेश दुधात ने कहा कि प्रारंभिक जांच में तार टूटने की वजह से हादसा होना सामने आया है. मृतकों में दो ऑपरेटर मोहम्मद अनवर महमद शरीफ खान और बलवंत सिंह धनिराम शामिल हैं, जो जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के निवासी थे. दोनों के शव उनके गृह जिले भेजे जाएंगे.

अधिकारियों ने कहा कि फॉरेंसिक साइंस लैब की मदद से हादसे के कारणों की जांच की जा रही है. यह भी स्पष्ट किया जाएगा कि ट्रॉली ऊपर जा रही थी या नीचे आ रही थी.

पावागढ़ का महत्व
पावागढ़ पहाड़ी 1,471 फीट ऊंची है और यहां स्थित महाकालिका मंदिर में हर साल करीब 25 लाख श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. हादसे के बाद श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में शोक और आक्रोश का माहौल है.

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