अहमदाबाद विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले 8 यात्रियों के परिवारों से डीएनए टेस्ट के लिए एक और रिश्तेदार का सैंपल देने के लिए कहा गया है, क्योंकि पहला सैंपल पीड़ितों के डीएनए से मैच नहीं हो पाया है. अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर राकेश जोशी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जब तक डीएनए मैच नहीं हो जाता, शव परिजनों को नहीं सौंपा जा सकता.
बता दें कि 12 जून को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरने वाली एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 टेक ऑफ के कुछ मिनट के भीतर क्रैश हो गई थी. इस हादसे में विमान के दोनों पायलटों, 10 क्रू मेम्बर्स और 229 यात्रियों की मौत हो गई थी. विश्वास कुमार रमेश नाम का एकमात्र यात्री जिंदा बचा. वह लंदन का नागरिक है. उन्होंने कहा, 'जब लंबे समय तक कोई सैंपल मैच नहीं होता है, तो हम किसी अन्य रिश्तेदार से दूसरा सैंपल मांग सकते हैं.
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डॉक्टर जोशी ने कहा कि यदि एक भाई-बहन ने सैंपल दे दिया है और वह पीड़ित के डीएनए के साथ मैच नहीं करता, तो दूसरे भाई-बहन का सैंपल मांगा जाता है. हम आम तौर पर विक्टिम के पिता या बेटे/बेटी का सैंपल लेते हैं. यदि इनमें से कोई भी उपलब्ध नहीं होता, तो हम परिवार के किसी अन्य नजदीकी सदस्य का सैंपल लेते हैं.' हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में कई विक्टिम के भाई-बहनों के सैंपल भी मैच हुए हैं. कम से कम आठ ऐसे परिवार हैं जिनका पहला सैंपल मैच नहीं हुआ, इसलिए दूसरा सैंपल मांगा गया है. अब तक 231 मृतकों के डीएनए सैंपल उनके परिजनों से मैच हो चुके हैं और 210 शव परिवारों को सौंप दिए गए हैं.
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डॉक्टर राकेश जोशी ने कहा था कि चूंकि डीएनए सैंपलिंग और मैचिंग की प्रक्रिया अत्यधिक संवेदनशील है और इसमें कानूनी प्रोटोकॉल शामिल हैं, इसलिए इसे अत्यंत गंभीरता और तेजी के साथ किया जा रहा है. फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी यह सुनिश्चित करने के लिए कि परिवारों को उनके प्रियजनों के शव शीघ्र प्राप्त हो जाएं, अपने से संबंधित संस्थानों, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों, राज्य सरकार के स्वास्थ्य और अन्य विभागों और विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर अथक प्रयास कर रही है.