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साहित्यकार राजेंद्र यादव का निधन, 3 बजे होगा अंतिम संस्कार

अपने लेखन से वंचित तबके और महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वाले जाने-माने साहित्यकार राजेंद्र यादव का देर रात दिल्ली में निधन हो गया. करीब 12 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली.

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राजेंद्र यादव
राजेंद्र यादव

अपने लेखन से वंचित तबके और महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वाले जाने-माने साहित्यकार राजेंद्र यादव का देर रात दिल्ली में निधन हो गया. करीब 12 बजे अस्पताल ले जाते हुए उन्होंने आखिरी सांस ली.

वह लंबे समय से बीमार थे. उनका पार्थिव शरीर दिल्ली के मयूर विहार इलाके में उनके घर पर रखा गया है. दोपहर 3 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

राजेंद्र यादव ने प्रेमचंद की संपादकी में निकलने वाली 'हंस' पत्रिका का 1986 पुनर्प्रकाशन शुरू करवाया और अंत तक पत्रिका के संपादक रहे. जिस दौर में हिन्दी की साहित्य-पत्रिकाएं अकाल मौत का शिकार हो रही थीं, उस दौर में भी हंस का लगातार प्रकाशन राजेंद्र यादव की वजह से ही संभव हो पाया. 1999-2001 के लिए उन्हें प्रसार भारती का बोर्ड मेंबर चुना गया था.

मौजूदा दौर में हिन्दी साहित्य की कई युवा प्रतिभाएं देने का श्रेय भी राजेंद्र यादव को ही जाता है. उनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत को निस्संदेह अपूरणीय क्षति हुई है.

28 अगस्त 1929 को आगरा में जन्मे राजेद्र यादव ने सारा आकाश, उखड़े हुए लोग, एक इंच मुस्कान और कुल्टा जैसे उपन्यास लिखे हैं. उनके कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं. उऩका नाम अलग-अलग वजहों से कई बार विवादों में भी रहा है.

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कमलेश्वर और मोहन राकेश के साथ उन्होंने नई कहानी आंदोलन की शुरुआत करने वाले वही थे. उपन्यास, कहानी, कविता और आलोचना सहित साहित्य की तमाम विधाओं पर उनकी समान पकड़ थी उनके मशहूर उपन्यास 'सारा आकाश' पर बाद में बासु चटर्जी ने फिल्म भी बनाई.

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