क्रिकेटर से नेता बने गौतम गंभीर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर लगातार निशाना साधते रहते हैं. गणतंत्र दिवस के अवसर दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा पर मुख्यमंत्री केजरीवाल की चुप्पी पर हमला करते हुए बीजेपी सांसद गंभीर ने कहा कि उनकी यह चुप्पी पंजाब के वोट को देखकर है.
गणतंत्र दिवस के पूरे दिन दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली और हिंसा का मामला छाया रहा. मंगलवार की रात गौतम गंभीर ने ट्वीट कर कहा कि पूरा दिन निकल गया, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उस भीड़ के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा जिसने दिल्ली को तबाह कर दिया. पार्टी के हैंडल से हल्का सा बयान ही काफी है क्योंकि पंजाब में वोट बेहद अहम है. दिल्ली को अपने इस मुख्यमंत्री से शर्मिंदगी है.
Entire day has passed yet @ArvindKejriwal has not made a single comment against the mob that ravaged Delhi. Paltry statement by party handle is enough because votes in Punjab are more important!
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) January 26, 2021
DELHI IS ASHAMED OF ITS CM
इससे कुछ घंटे पहले दिल्ली से बीजेपी के सांसद गौतम गंभीर ने लाल किले पर प्रदर्शनकारियों की ओर से अपना झंडा लहराए जाने की निंदा की और ट्वीट किया, 'लाल किले पर तिरंगे के अलावा कुछ भी होना इस देश के लिए हर चीज का अपमान है! तथाकथित "नेता" और छद्म उदारवादी सहानुभूति रखने वाले अपने खून बहाते दिलों के साथ कहां हैं.'
Violence and vandalism will lead us nowhere. I urge everyone to maintain peace & honour agreements. Today is not the day for such chaos!
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) January 26, 2021
इससे पहले गंभीर ने हिंसा को गलत ठहराते हुए कहा कि हिंसा और बर्बरता हमें कहीं नहीं ले जाएगी. मैं सभी से शांति और सुरक्षा व्यवस्था के प्रति सम्मान की भावना रखने की अपील करता हूं. आज इस तरह की अराजकता का दिन नहीं है.
Aam Aadmi Party's statement on today's #FarmersProstests pic.twitter.com/ymwLKfI330
— AAP (@AamAadmiParty) January 26, 2021
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सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने मंगलवार को दिल्ली में हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि इस हिंसा की हम कड़ी निंदा करते हैं. यह खेदजनक है कि केंद्र सरकार ने इस हद तक स्थिति को बिगड़ने दिया. पिछले दो महीने से आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है. किसान नेताओं ने कहा है कि जो लोग आज हिंसा में शामिल थे, वे आंदोलन का हिस्सा नहीं थे और वे बाहरी तत्व थे. वे जो भी थे, हिंसा ने निश्चित रूप से आंदोलन को कमजोर किया है जो अब तक इतने शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से चल रहा था.