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गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हिंसा, CM केजरीवाल की चुप्पी पर गंभीर ने साधा निशाना

गणतंत्र दिवस के पूरे दिन दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली और हिंसा का मामला छाया रहा, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चुप्पी पर बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने उन पर जमकर निशाना साधा और कहा कि हिंसा ने दिल्ली को तबाह कर दिया लेकिन उनके लिए पंजाब के वोट अहम हैं.

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दिल्ली से BJP के सांसद गौतम गंभीर (फाइल-पीटीआई)
दिल्ली से BJP के सांसद गौतम गंभीर (फाइल-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • CM ने हिंसा पर दिनभर में एक शब्द भी नहीं बोलाः गंभीर
  • 'लालकिले पर तिरंगे के अलावा कुछ भी होना देश का अपमान'
  • हिंसा की हम कड़ी निंदा करते हैंः AAP

क्रिकेटर से नेता बने गौतम गंभीर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर लगातार निशाना साधते रहते हैं. गणतंत्र दिवस के अवसर दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा पर मुख्यमंत्री केजरीवाल की चुप्पी पर हमला करते हुए बीजेपी सांसद गंभीर ने कहा कि उनकी यह चुप्पी पंजाब के वोट को देखकर है.

गणतंत्र दिवस के पूरे दिन दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली और हिंसा का मामला छाया रहा. मंगलवार की रात गौतम गंभीर ने ट्वीट कर कहा कि पूरा दिन निकल गया, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उस भीड़ के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा जिसने दिल्ली को तबाह कर दिया. पार्टी के हैंडल से हल्का सा बयान ही काफी है क्योंकि पंजाब में वोट बेहद अहम है. दिल्ली को अपने इस मुख्यमंत्री से शर्मिंदगी है.

इससे कुछ घंटे पहले दिल्ली से बीजेपी के सांसद गौतम गंभीर ने लाल किले पर प्रदर्शनकारियों की ओर से अपना झंडा लहराए जाने की निंदा की और ट्वीट किया, 'लाल किले पर तिरंगे के अलावा कुछ भी होना इस देश के लिए हर चीज का अपमान है! तथाकथित "नेता" और छद्म उदारवादी सहानुभूति रखने वाले अपने खून बहाते दिलों के साथ कहां हैं.'

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इससे पहले गंभीर ने हिंसा को गलत ठहराते हुए कहा कि हिंसा और बर्बरता हमें कहीं नहीं ले जाएगी. मैं सभी से शांति और सुरक्षा व्यवस्था के प्रति सम्मान की भावना रखने की अपील करता हूं. आज इस तरह की अराजकता का दिन नहीं है.

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सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने मंगलवार को दिल्ली में हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि इस हिंसा की हम कड़ी निंदा करते हैं. यह खेदजनक है कि केंद्र सरकार ने इस हद तक स्थिति को बिगड़ने दिया. पिछले दो महीने से आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है. किसान नेताओं ने कहा है कि जो लोग आज हिंसा में शामिल थे, वे आंदोलन का हिस्सा नहीं थे और वे बाहरी तत्व थे. वे जो भी थे, हिंसा ने निश्चित रूप से आंदोलन को कमजोर किया है जो अब तक इतने शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से चल रहा था.


 

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