देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस ने एक बड़े ऑपरेशन में राजस्थान से संचालित हो रहे एक अंतरराज्यीय साइबर फ्रॉड गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है. ये गैंग सोशल मीडिया पर नकली इन्वेस्टमेंट टास्क के जरिए लोगों को फंसाकर ठगे गए पैसों को क्रिप्टोकरेंसी USDT में बदलकर चीन स्थित फ्रॉडस्टर्स को भेजता था. पुलिस ने जांच में 42 लाख से अधिक की मनी ट्रेल का खुलासा किया है.
पांच ठग गिरफ्तार
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपियों की पहचान रविंद्र विश्नोई (28), महिपाल (27), मोहम्मद यासीन, रोहित निम्बावत उर्फ रॉनी (24) और यश वैष्णव (23) के रूप में हुई है. पुलिस के मुताबिक, मामला तब सामने आया जब 12 जून को मुनिरका निवासी एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि उसे एक फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कीम में 17.31 लाख का चूना लगाया गया है.
शिकायतकर्ता को शुरू में होटल रिव्यू टास्क पूरे करने के लिए 50 रुपये प्रति टास्क देने का लालच दिया गया. शुरुआती पेमेंट के बाद उसे एक वेबसाइट पर रजिस्टर कराया गया और धीरे-धीरे 2,000 से डेढ़ लाख तक की रकम निवेश करने के लिए प्रेरित किया गया, जिसमें 40% तक रिटर्न का वादा किया गया था. अकाउंट बैलेंस बढ़ते हुए दिखाकर और अकाउंट अनफ्रीज कराने के बहाने उससे और पैसे लिए गए.
निवेश का झांसा देकर शिकार बनाते थे आरोपी
पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी फर्जी (म्यूल) बैंक अकाउंट और प्रॉक्सी सिम का इस्तेमाल करते थे. सबसे पहले मोहम्मद यासीन को पकड़ा गया, जिसने अपना बैंक अकाउंट रोहित और यश को बेच दिया था. आगे की पूछताछ में पता चला कि ये खाते गिरोह के सरगना रविंद्र विश्नोई को दिए जाते थे, जो चीन से जुड़े फ्रॉडस्टर्स के साथ संपर्क में था.
रविंद्र और उसका साथी महिपाल न केवल म्यूल अकाउंट सप्लाई करते थे बल्कि क्रिप्टो प्लेटफॉर्म के जरिए पैसों को USDT में बदलकर विदेश भेजते थे. इनके पास नेपाल और सिंगापुर के भी म्यूल अकाउंट थे. पुलिस ने राजस्थान के जोधपुर, बालोतरा, जयपुर, दिल्ली और महाराष्ट्र के पालघर में छापेमारी की.
बरामदगी में 10 मोबाइल फोन, 12 प्रॉक्सी सिम, सात बैंक अकाउंट, सात डेबिट कार्ड, दो राउटर और तीन संदिग्ध आईडी दस्तावेज मिले. पुलिस का कहना है कि इस गिरोह के खिलाफ राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर कम से कम सात और शिकायतें दर्ज हैं.