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लैंड पूलिंग पॉलिसी: DDA के खिलाफ फेडरेशन ऑफ डेवलपर का प्रदर्शन

विरोध करने वाली फेडरेशन का कहना था कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 5 सितंबर 2013 को जिस लैंड पूलिंग पॉलिसी को अधिसूचित किया था, उसी को लागू किया जाना चाहिए. लेकिन डीडीए ने मनचाहे तरीके से इस नीति में बदलाव करते हुए प्रस्ताव तैयार किया है.

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डीडीए के खिलाफ प्रदर्शन
डीडीए के खिलाफ प्रदर्शन

डीडीए द्वारा लैंड पूलिंग पॉलिसी में मनमाने ढंग से किए गए बदलाव को लेकर फेडरेशन ऑफ हाउसिंग सोसाइटी एंड डेवलपर्स ने डीडीए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

विरोध करने वाली फेडरेशन का कहना था कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 5 सितंबर 2013 को जिस लैंड पूलिंग पॉलिसी को अधिसूचित किया था, उसी को लागू किया जाना चाहिए. लेकिन अब डीडीए ने मनचाहे तरीके से इस नीति में बदलाव करते हुए प्रस्ताव तैयार किया है. इसके साथ ही फेडरेशन का कहना था कि इसके प्रभावी होने पर आम आदमी की पहुंच से ना केवल किफायती और अफोर्डेबल हाउसिंग का सपना दूर हो जाएगा. बल्कि उन किसानों को भी अपनी जमीन का वास्तविक दाम नहीं मिल पाएगा, जिन्होंने इन ज़ोन में मास्टर प्लान 2021 के नियमों के तहत अपनी जमीन बेची है.

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इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभी को 2022 तक घर देने की योजना पर भी विपरीत प्रभाव होगा. वहीं विरोध करने वाले फेडरेशन का ये भी कहना था कि ये नीति बनाते और अधिसूचित करते समय सभी लोगों से बात की गई थी. इसमें किसान, सोसाइटी के साथ ही आवास और जमीन के विशेषज्ञों से भी बात की गई थी. उस वक्त ये कहा गया था कि पॉलिसी के लागू होने से 25 लाख नए किफायती और अफोर्डेबल मकान मध्यम वर्ग के लोगों को उपलब्ध हो पाएंगे. इससे दिल्ली में अपना घर का सपना देखने वालों एक राहत मिलेगा.लेकिन जिस तरह डीडीए ने पॉलिसी में जो बदलाव किया है, उससे मध्यम वर्ग के लोगों का जिन्होंने दिल्ली में अपने घर का सपना देखा था उसको बढ़ा झटका लगा है. साथ डीडीए के नई पॉलिसी से केवल बड़े बिल्डरों को फायदा होगा और ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी खत्म हो जाएगी.

क्या है फेडरेशन की मांग?

-फेडरेशन की पहली मांग है कि भूमि हासिल करने वाली सोसाइटी अपनी भूमि डीडीए में जमा कराए और डीडीए उसका विकास करके दे. इसमें पानी, सीवर और सड़क शामिल हैं.

-फेडरेशन की दूसरी मांग है की दिल्ली में काफी वक्त से चकबंदी नहीं हुई है. ऐसे में एक ही सेक्टर में 70 प्रतिशत भूमि की बाध्यता का नियम गलत है. इसकी जगह 70 प्रतिशत भूमि एक ही जोन में होने का नियम किया जाए.

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-फेडरेशन की तीसरी मांग ये है कि फ्लोर एरिया रेशो को 400 ही रखा जाए, जो 5 सितंबर 2013 की नोटिफिकेशन में था. इसे घटाकर 180 करने का प्रस्ताव किया गया है उसको वापस किया जाए.

इन प्रमुख मांगों को लेकर फेडरेशन ने कई बार डीडीए के चेयरमैन को सौंपा गया है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. जिसके कारण इन लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. इनका कहना है कि इनका विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक इनकी मांग नहीं मान ली जाती है.    

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