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हाईटेक हुई दिल्‍ली ट्रैफिक पुलिस, कटने लगे ई-चलान

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस भी बदलते वक्त के साथ बदल गई है. पुलिस अब कागज की बुक का चालान नहीं करती बल्कि ई-चालान करना शुरू कर दिया है.

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दिल्ली सड़को पर लोगों का ट्रैफिक का कानून तोड़ना कोई नई बात नहीं है. तो पुलिस का चलान करना भी कोई नई बात नहीं है. इधर ट्रैफिक का कानून तोड़ा, पुलिस की नज़र पड़ी और पुलिस ने थमा दिया चालान. लेकिन अब दिल्ली ट्रैफिक पुलिस भी बदलते वक्त के साथ बदल गई है. पुलिस अब कागज की बुक का चालान नहीं करती बल्कि ई-चालान करना शुरू कर दिया है.

इलेट्रॉनिक चालान, यानी एक बार ई चालान के शिकार हुए तो दोबारा पकड़ा जाना आपको पहली बार से ज्यादा मंहगा पड़ेगा और अगर तीसरी बार पकड़े गए तो आपके ऊपर मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है.

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एक प्राईवेट कंपनी की मदद से इस ई-चालान की मुहिम को शुरू किया है. सच ये भी है कि इस मुहिम ने दिल्ली पुलिस का चेहरा ही बदल दिया है. तो वहीं दूसरी तरफ आदतन ट्रैफिक के कानून का माखौल बनाने वालों पर शिंकाजा कस दिया है.

इस हाईटेक योजना के तहत हर एक चालान कटते ही दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के सर्वर में डेटा अपडेट हो जाता है. पुलिस के आला अधिकारियों को पता चल जाता है कि उसके किस पुलिसकर्मी ने कितने, कहां और किस वाहन के लिए चालान किए है. किस पुलिसकर्मी ने सबसे ज़्यादा किए और किसने सबसे कम चालान किए हैं.
दिल्ली के 40 ट्रैफिक सर्किल में 1200 मशीनें जुलाई से काम कर रही हैं. अब तक पुलिस करीब 7 लाख चालान काट चुकी है. 12 हजार से 10,000 औसतन रोज़ाना चालान किए जा रहे हैं.

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वहीं इस हाइटेक तरीके से चालान करने की शुरुआती दिक्कतों के बावजूद ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने भी इस सिस्टम को अपना लिया है और इसे बाखूबी अंजाम दिया जा रहा है.

पुलिस ई चालान की मशीन का रोज़ना का 110 रुपये का किराया देती है जिसमें मशीन के रखखाव से लेकर सबकुछ शामिल है और अगर मशीन नहीं चली तो प्राईवेट कंपनी को भी इस मशीन का पैसा नहीं मिलता.

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