दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) की ओर से हाल ही में किए गए किराया बढ़ोतरी के फैसले के खिलाफ छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. मंगलवार को स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की अगुवाई में विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने डीएमआरसी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और तुरंत किराया वापसी की मांग की.
DMRC ने दिया ये तर्क
डीएमआरसी ने सोमवार को लगभग आठ साल बाद यात्री किरायों में संशोधन किया है. अधिकारियों के मुताबिक, यह बढ़ोतरी दूरी के हिसाब से 1 रुपये से 4 रुपये तक है. डीएमआरसी का कहना है कि कोविड-19 महामारी के नुकसान, कर्ज चुकाने और रखरखाव की लागत को देखते हुए यह कदम उठाना पड़ा.
किस पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
प्रदर्शन में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन एसोसिएशन (AIDWA) की सदस्याएं भी शामिल हुईं. उन्होंने कहा कि यह बढ़ोतरी छात्रों और कामकाजी महिलाओं पर सबसे ज्यादा असर डालेगी क्योंकि वे रोजाना के सफर के लिए मेट्रो पर निर्भर रहती हैं.
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पहले ही लाखों छात्र प्रतिदिन 100 रुपये से अधिक यात्रा पर खर्च कर रहे हैं. अब किराया बढ़ने से उन पर हर महीने अतिरिक्त 500 से 800 रुपये का बोझ पड़ेगा.
छात्रों की क्या हैं मांगे?
एसएफआई दिल्ली राज्य समिति के सदस्य सोहन कुमार यादव ने कहा, “छात्र समुदाय का बड़ा हिस्सा मध्यमवर्गीय और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आता है. यात्रा पर मात्र दस रुपये भी बढ़ने का मतलब है हर महीने सैकड़ों रुपये अतिरिक्त खर्च, जिससे हमें किताबें, नोट्स और खाने जैसी बुनियादी जरूरतों से समझौता करना पड़ेगा.”
एसएफआई की कार्यकर्ता अभिनंदना प्रत्याशी ने कहा कि मेट्रो महिलाओं के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित साधन है, लेकिन किराया बढ़ने से कई छात्राओं को मजबूरी में सस्ते लेकिन असुरक्षित विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं.
एआईडीडब्ल्यूए दिल्ली की सचिव कविता शर्मा ने कहा, “कई छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए मेट्रो ही एकमात्र सुरक्षित और भरोसेमंद साधन है. इसे महंगा बनाना महिलाओं से उनके गतिशीलता और सुरक्षा के अधिकार छीनने जैसा है.”
एसएफआई और एआईडीडब्ल्यूए ने डीएमआरसी से तुरंत किराया वृद्धि वापस लेने की मांग की और केंद्र व दिल्ली सरकार से छात्रों के लिए रियायती मेट्रो पास शुरू करने की अपील की.