दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा जारी उस अधिसूचना को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें पुलिस अधिकारियों को थाने से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में गवाही देने की अनुमति दी गई है. आम आदमी पार्टी (आप) ने इसे न्याय प्रणाली को कमजोर करने वाली साजिश करार दिया है और इसकी कड़ी निंदा की है.
दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि एलजी का यह आदेश पूरी न्याय व्यवस्था का मजाक है. उन्होंने कहा, “यह आदेश पूरी तरह अवैध और गैरकानूनी है. पहले ही पुलिस पर सरकार के दबाव में झूठे मुकदमे दर्ज करने के आरोप लगते रहे हैं. अब अगर पुलिस अधिकारी थाने में बैठकर गवाही देंगे तो उनकी मनमानी और बढ़ेगी.”
भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली की सभी जिला अदालतों में इस अधिसूचना के विरोध में हड़ताल जारी है. दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी इसका विरोध करते हुए आदेश को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने आशंका जताई कि अगर पुलिस थाने से ही गवाही होगी तो वकीलों द्वारा की जाने वाली जिरह प्रभावित होगी.
उन्होंने कहा, “अगर किसी पुलिस अधिकारी की गवाही कमजोर पड़ रही है तो वह कैमरा बंद कर देगा और कहेगा इंटरनेट चला गया. यह पूरी तरह से न्याय प्रणाली को ध्वस्त करने की साजिश है.”
AAP की एडवोकेट विंग के दिल्ली अध्यक्ष संजीव नासियार ने कहा कि जब केंद्र सरकार भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लेकर आई थी, तब वकीलों ने विरोध किया था और गृह मंत्रालय ने लिखित आश्वासन दिया था कि कोई भी पुलिस अधिकारी थाने से गवाही नहीं देगा. इसके बावजूद 13 अगस्त को एलजी ने यह अधिसूचना जारी की. यह आदेश बीएनएस के प्रावधानों से भी आगे जाकर पुलिस को अतिरिक्त शक्तियां देता है. जब तक गवाह अदालत में मौजूद होकर शपथ लेकर बयान नहीं देगा और उससे जिरह नहीं होगी, तब तक न्याय प्रणाली मज़बूत नहीं रह सकती.
नासियार ने कहा कि बीएनएस के लागू होने के बाद से ही पुलिस की ताकत बढ़ी है और जनता के अधिकार छीने गए हैं. अब इस अधिसूचना से स्थिति और खराब होगी. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के आने के बाद दिल्ली में कानून व्यवस्था बिगड़ी है, मिडिल क्लास पर बोझ बढ़ा है, निजी स्कूलों में फीस बढ़ी है और बिजली संकट गहरा गया है. अब वकीलों को भी परेशान किया जा रहा है. आप लीगल विंग इस आंदोलन को पूरी ताकत देगी और एलजी को आदेश वापस लेने पर मजबूर करेगी.
उल्लेखनीय है कि जिला अदालतों में वकीलों की हड़ताल सोमवार तक जारी रहेगी. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी प्रस्ताव पास कर विरोध दर्ज कराया है. AAP का कहना है कि यह अधिसूचना न केवल न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर करती है बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को भी खतरे में डालती है.