
पिछले साल जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन से पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का कायाकल्प किया गया था. शहरों की सड़कों को कलाकृतियों और फव्वारों से सजा दिया गया था. हालांकि, कुछ लोगों ने कहा था कि आयोजन के बाद शहर की भव्यता फीकी पड़ जाएगी. लेकिन शिखर सम्मेलन के आयोजन के एक साल बाद भी कुछ लोगों की ये आशंकाएं स्पष्ट रूप से गलत साबित हो रही है. जिसमें सड़कों किनारे बनी कलाकृतियों और सजावट आज भी बेहतर स्थिति में हैं.
दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के सक्सेना ने इन प्रतिष्ठानों की स्थिति की समीक्षा करने और उनकी देखरेख की जांच करने के लिए एक बैठक की है और विभिन्न विभागों द्वारा इन कलाकृतियों के रखरखाव को बनाए तंत्र के लिए धन्यवाद किया.
दिल्ली में जी-20 के आयोजन से पहले कोणार्क व्हील, यक्षिणी और एलीफैंट फैमिली जैसी 150 प्राचीन कलाकृतियों का नियमित रूप से रखरखाव किया जा रहा है. इसी तरह राजस्थान से खरीदे गए 150 स्टोन फव्वारे भी सुचारू रूप से चल रहे हैं.

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दिखाती हैं कलाकृतियां
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाली ये कलाकृतियां मुख्य रूप से राजस्थान और ओडिशा से ली गईं थीं. और उन्हें राणनीतिक रूप से दिल्ली में स्थापित किया गया है. ये कलाकृतियां राजधानी की मुख्य सड़कों से लेकर टूरिस्ट स्पॉट पर आकर्षण का केंद्र हैं.

एलजी ने जी-20 के संपन्न होने के बाद पिछले साल 130 फील्ड विजिट की हैं, ताकि इन सभी कलाकृतियों के रखरखाव मानकों को बनाए रखा जा सके. उनकी लगातार निगरानी की वजह से कलाकृतियों इंजेक्टेबल स्थिति में बनी हुई है, जिससे साबित होता है कि जी-20 के लिए राजधानी के लिए किया गया सौंदर्यीकरण अस्थायी नहीं था.

एलजी ने किया दिल्ली वासियों का धन्यवाद
वहीं, जनता ने भी इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. उपराज्यपाल ने दिल्ली के निवासियों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और इस बात पर जोर दिया कि इन कलाकृतियों का उद्देश्य शहर के लिए स्थायी संपत्ति के रूप में है. जी-20 शिखर सम्मेलन के पूरा होने के बाद भी ये कलाकृतियां दिल्ली को समृद्ध कर रहे हैं. उल्लेखनीय रूप से इसमें विजय घाट पर एक स्टोन फव्वारा, आरएमएल राउंड अबाउट में एक सफेद संगमरमर की ऐलिफेंट फैमिली और सरदार पटेल मार्ग और साइमन बोलिवर मार्ग के जंक्शन पर व्हाइट सैंड स्टोन रथ शामिल है.
जैसा कि दिल्ली जी-20 के बाद भी प्रगति कर रही है. सरकारी एजेंसियों और जनता के बीच सहयोगात्मक कोशिश ये सुनिश्चित करता है कि शहर भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और सौंदर्य समर्पण का प्रमाण बन रहा है.