शराब माफिया सरकारी कायदे कानूनों की धज्जियां उड़ाए तो बात समझ में आती है. लेकिन सरकार ही अपने बनाये नियमों को ताक में रख दे तो पीड़ित कहा फ़रियाद लगाए. ऐसा ही हो रहा है छत्तीसगढ़ में. यहां एक अप्रैल से राज्य की बीजेपी सरकार खुद शराब बेच रही है. लेकिन वो भी शराब ठेकेदारों के लठैतों की तर्ज पर.
रायपुर में शराब बेचने के लिए जब सरकार को दुकान नहीं मिली तो एक दवा दूकान के एक हिस्से पर ही शराब की दुकान खोल दी गयी. लोगों ने पहली बार दवा और दारू का संगम एक साथ देखा. लेकिन मामला यही तक नहीं है. इस शराब दुकान के ठीक बगल में प्राथमिक स्कूल है. जबकि सरकार ने ही नियम बनाया है कि धार्मिक स्थलों और स्कुलों से मयखाने कम से कम 100 मीटर दूर होंगे.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पॉश इलाके शंकर नगर का यह मामला है. यहां के मुख्य रोड़ पर करीब 20 साल से चला आ रहा यह स्कूल है. इसके ठीक बगल में पहले दवा दुकान हुआ करती थी. लेकिन अब स्कूल और दवा दुकान के बीच में यह शराब की दुकान खुल गयी है. एक अप्रैल से यह शराब की दुकान अपने पुरे शबाब में है. सुबह से लेकर रात तक यहां शराब के शौकीनों का जमावड़ा लगा रहता है. लोगों ने पहली बार दवा और दारू का अनूठा संगम देखा है.
दरअसल इस इलाके में लोगो ने शराब की दुकान खोलने के लिए अपने परिसर और दुकान नहीं दिऐ तो प्रशासन ने दवा दुकान के हिस्से को सिमटा दिया. दवाओं के रैंक एक ओर कर पार्टिशन किया गया और रातों रात शराब दुकान खोल दी गयी. यह सब कुछ करते वक्त प्रशासन ने इस ओर बिल्कुल नहीं ध्यान दिया कि शराब दुकान के ठीक बगल में स्कूल भी है. वो भी करीब 20 साल पुराना. शराब दुकान को लेकर ना तो दवा विक्रेता को कोई आपत्ति है और ना ही शराब के शौकीनों को. लेकिन आफत टूट पड़ी है इस स्कूल के छात्रों और टीचरों के ऊपर. उनकी आपत्ति को दरकिनार कर दिया गया. इलाके के लोगों ने भी इस शराब दुकान का विरोध किया. लेकिन उनकी आवाज भी नक्कार खाने में तूती की आवाज की तरह दब कर रह गयी.
फिलहाल पढ़ाई लिखाई छोड़ इस स्कूल के छात्रों और उनके अभिभावकों का वक्त शराब दुकान हटाने की मांग को लेकर होने वाले अनशन में बीत रहा है. राज्य के आबकारी नियम के मुताबिक़ शराब दुकान खोलने के लिए किसी भी सूरत में उसके इर्द-गिर्द धार्मिक स्थल और स्कूल नहीं होने चाहिए. इन दोनों स्थलों से शराब दुकानों और अहातों की दूरी कम से कम 100 मीटर के अंतर में होनी चाहिए. लेकिन इस नियम की धज्जियां उड़ा दी गयी.
प्रशासन और आबकारी विभाग और पुलिस के अफसरों ने मौके का स्थल परिक्षण किया. इसके बाद दवा दुकान के हिस्से को सिमटा कर उसमें शराब दुकान खोलने की इजाजत दे दी गयी. जबकि दवा दुकान खोलने के लिए जो ड्रग लाइसेंस जारी किया जाता है. उसमें दवा दुकान का पूरा नक्शा सम्मलित किया जाता है. इसके बाद ही दवा दुकान का लाइसेंस जारी किया जाता है. इस मामले में स्वास्थ विभाग के केमिस्ट एन्ड ड्रगिस्ट विभाग से NOC लिए बगैर ही दवा दुकान को विभाजित कर शराब दुकान खोल दी गयी. फिलहाल प्रशासन जांच का हवाला दे कर अपना पल्ला झाड़ रहा है. जबकि राज्य के आबकारी मंत्री का दावा है कि जनहित में ही शराब के कारोबार को सरकार ने अपने हाथों में लिया है.
छत्तीसगढ़ में शराब दुकानों को खोलने के लिए राज्य की बीजेपी सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. अब तक देशी और विदेशी शराब की लगभग साढ़े बारह सौ दुकानों में से करीब ढाई सौ दुकानें ही खुल पाई हैं. इससे रोजाना सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. दरअसल सरकारी शराब दुकानों का राज्य भर में जबरदस्त विरोध हो रहा है. प्रदर्शनकारी शराब की दुकानें खोलने नहीं दे रहे हैं. वही दूसरी ओर सरकार इन दुकानों को खोलने के लिए कानून का डंडा चला रही है.