बिहार में पूर्ण शराबबंदी होने से राज्य की जेलों की स्थिति काफी खराब है. जेलों में क्षमता से ज्यादा और दोगुने कैदियों को रखा गया है. शराबबंदी कानून उल्लंघन में सबसे ज्यादा कैदी जेलों में भरे पड़े हैं. शनिवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम बिहार पहुंची और इस टीम ने छपरा मंडल कारा और बेउर केंद्रीय कारा का निरीक्षण किया. दोनों जेलों की स्थिति बेहद खराब पाई गई.
बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग टीम 2020 में छपरा जेल में स्पिरिट पीने से हुई मौत की शिकायत के बाद जांच के लिए पहुंची थी. जांच करने के बाद टीम ने अपनी रिपोर्ट जेल आईजी को सौंप दी है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की बिहार के जेलों को लेकर दी गई रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है.
जेलों के अंदर स्वच्छता का बड़ा अभाव
टीम ने रिपोर्ट में कहा है कि एक बैरक में संख्या से ज्यादा कैदी रह रहे हैं. 35 की क्षमता वाले बैरक में 80-90 कैदी रखे जा रहे हैं. एनएचआरसी की टीम ने सुझाव दिया है कि कोर्ट के अधीन मुफ्त कानूनी सहायता कैदियों को दी जाए. क्योंकि कैदी इस सुविधा से अछूते हैं. मानवाधिकार आयोग की टीम ने साफ कहा है कि दोनों जेलों में स्वास्थ्य सुविधा और हाइजिन यानी स्वच्छता का बड़ा अभाव है. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि जेलों में सुरक्षा की समस्या गंभीर है. कैदियों के साथ कर्मचारियों और जेलकर्मियों की सुरक्षा संकट में है.
जेल में बंद महिलाओं को चर्म रोग
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में महिला कैदियों को लेकर चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि बेउर और छपरा मंडल कारा में महिला कैदियों की स्थिति गंभीर है और उनमें चर्म रोग की समस्या आम है. कैदियों के मेडिकल और स्वास्थ्य रिकॉर्ड बिल्कुल नहीं रखे गए हैं.
राज्य सरकार को सुधार के लिए दिया सुझाव
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने पढ़ने वाले कैदियों को लेकर चिंता जताई और कहा कि जेल के अंदर लाइब्रेरी की व्यवस्था बिल्कुल अच्छी नहीं है. जेल के ड्रेनेज और सीवेज सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है. कैदियों को कानूनी सहायता की सख्त जरूरत है, जिसे सरकार किसी एजेंसी के माध्यम से करवा सकती है. आयोग ने कैदियों से फीडबैक लेकर प्लानिंग करने का राज्य सरकार को सुझाव दिया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य ज्ञानेश्वर मूले ने कहा कि दोनों ही जेलों में क्षमता से दोगुनी कैदी हैं और कानूनी सहायता को लेकर जागरूकता बहुत कम है. इसको लेकर कर्मियों और अधिकारियों से बातचीत की गई है. उन्होंने कहा कि हमने जांच के दौरान पाया कि कैदियों की समस्या को लेकर प्रशासन जागरूक हैं.
जेलों में सबसे ज्यादा शराबबंदी कानून उल्लंघन के कैदी
उन्होंने कहा कि हमारा निरीक्षण पर आने का उद्देश्य कैदियों की स्थिति में सुधार लाना है. बता दें कि बिहार की जेल में कुल 4 लाख 7 हजार 750 कैदियों के रहने की क्षमता है तो वहीं अभी करीब 6 लाख 4000 कैदी बिहार की जेलों में है. बता दें कि बिहार में सबसे ज्यादा कैदी शराबबंदी कानून उल्लंघन के केस में बंद हैं. स्थिति की भयावहता को देखते हुए राज्य सरकार ने हाल में शराबबंदी कानून में संशोधन भी किया और पहली बार पीने वालों को जमानत की राशि लेकर छोड़ने के निर्देश दिए, ताकि जेलों पर भार कम हो सके.