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बिहार से बाहर फंसे लोगों का वापस लाने के लिए नीतीश सरकार ने शुरू की तैयारी

बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने मजदूरों को वापस लाने की तैयारी शरू कर दी है. इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है. इस तरह से उन्हें दूसरे राज्यों में फंसे अप्रवासियों मजदूरों को वापस बिहार लाने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. हालांकि, बिहार से बाहर फंसे सबको वापस लाना सरकार के लिए आसान नहीं.

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लॉकडाउन में फंसे मजदूर घर पैदल घर जाते हुए (PTI)
लॉकडाउन में फंसे मजदूर घर पैदल घर जाते हुए (PTI)

  • मजदूरों की वापसी के लिए सरकार ने नियुक्त किया नोडल अधिकारी
  • हर ब्लाक में क्वारनटाइन सेंटर बनाने का दिया नीतीश सरकार ने आदेश

कोरोना संक्रमण के संकट से निपटने के लिए लगाए लॉकडाउन के चलते अप्रवासी मजदूर देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए है और लगातार वो अपने घरों को आने के लिए बेताब है. ऐसे में केंद्र सरकार के द्वारा दिशा निर्देश जारी होने के बाद बिहार की सरकार ने प्रवासी मजदूरों और छात्रो छात्रओं को जो प्रदेश से बाहर अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं, उन्हें वापस लाने की तैयारी शुरू कर दी हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है. ऐसे में सरकार ने प्रत्यय अमृत को दूसरे राज्यों में फंसे अप्रवासियों मजदूरों को वापस बिहार लाने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. हालांकि, बिहार से बाहर फंसे सबको वापस लाना सरकार के लिए आसान नहीं है. केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक सभी की स्वास्थ्य जांच और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही लोग अपने राज्य को लौट सकेंगे.

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माना जा रहा है कि बिहार के बाहर रह रहे 28 लाख मजदूरों ने बिहार के हेल्पलाइन नम्बर पर सम्पर्क किया है और लांक डाउन में फंसे रहने की बात बताई है. इनमें से 17 लाख लोगों को बिहार सरकार ने एक एक हजार रुपये की सहायता राशि भी प्रदान कर दी है, लेकिन ये 28 लाख की संख्या केवल मजदूरों के अलावा दूसरे राज्यों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं और अन्य लोग भी हैं.

केंद्र के दिशा-निर्देश के तहत इन सबको पूरी प्रक्रिया के साथ घर वापसी में समय लग सकता है, क्योंकि बसों के माध्यम से आखिर कितने लोग आ सकते है. ऐसे में जब तक ट्रेन की शुरुआत नहीं होती है, तब तक इस प्रक्रिया में काफी वक्त लग सकता है. पहले सभी को रजिस्टर करना उनके स्वास्थ्य की जांच करना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर लाना आसान काम नही हैं.

बिहार सरकार देश के उन सभी राज्यों से लगातार संपर्क में हैं जहां-जहां प्रदेश के लोग फंसे हुए हैं. केंद्र के दिशा-निर्देश के तहत बिहार सरकार अपने बॉर्डर तक पहुंचे लोगों को बसों के जरिए लेकर आएगी. इसका मतलब साफ है कि जिस राज्य में लोग फंसे हुए हैं उनको बिहार बॉर्डर तक पहुंचना होगा. इसके बाद वहां स्वास्थ्य टीम उनकी जांच करके फिर उन्हें उनके ब्लाक में बने क्वारनटाइन सेंटर में लाकर 14 दिन रखा जाएगा.

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हालांकि, शुरू में यह व्यवस्था गांव के स्कूलों में की गई थी, लेकिन स्कूल में सतत निगरानी न होने की वजह से लोग रात में अपने अपने घरों में सोने चले जाते थे. इसीलिए अब बिहार सरकार ने सभी ब्लाक मुख्यालय में क्वारनटाइन सेंटर बनाने का फैसला किया हैं. इन सेंटरों की बकायदा सीसीटीवी से निगरानी होगी. खाने-पीने और रहने की उचित व्यवस्था की जाएगी. सरकार ने फैसला किया है कि एक कमरे में चार से ज्यादा लोग नहीं रहेंगे.

वहीं, ये नियम बिहार के बाहर रह रहे छात्र-छात्राओं पर लागू नहीं होगा, उन्हें 14 का क्वारनटाइन अपने घर में ही रहना होगा. राज्य सरकार ने चोरी छिपे बिहार आने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई का मन बना रही है. माना जा रहा है कि जो लोग चोरी छिपे गांव के रास्ते से बिहार आ रहे है, उनसे कोरोना फैलने की आशंका है. अभी तक 36 केस ऐसे है जिसमें लोग पैदल या अन्य माध्यम से बिहार आए और उनकी जांच की गई तो कोरोना पॉजिटिव पाए गए.

बहारहाल, बिहार सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है. प्रवासी लोगों को बिहार लाने को लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है, ताकि लोगों की वापसी को सुगम बनाया जा सके. बिहार सरकार केंद्र सरकार के तमाम प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जो लोग भी बिहार आना चाहते है उन्हें लाएगी. माना जा रहा है कि ऐसे लोगों की संख्या 10 लाख से ज्यादा हो सकती है. इतनी भारी संख्या में लोगों के लिए क्वारनटाइन और खाने-रहने की व्यवस्था करना आसान बात नहीं हैं.

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