क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी के नजदीक आने की कोशिश कर रहे हैं? इन कयासों पर केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के चीफ पशुपति पारस ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि नीतीश आएंगे तो उनका स्वागत है. समय बलवान होता है, इसलिए जो भी होगा अच्छा ही होगा.
पशुपति पारस का बयान ऐसे समय आया है, जब नीतीश की बीजेपी से संभावित करीबी को लेकर भाजपा में ही दो राय देखने को मिल रही है. दरअसल, हाल ही में बीजेपी समेत बिहार के सभी राजनीतिक दल तब हैरान रह गए थे, जब नीतीश कुमार ने अचानक पटना के अंदर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल होने पहुंच गए थे. नीतीश के इस कदम ने बिहार की सियासत में नई चर्चाएं शुरू हो गईं थीं.
देवीलाल की जयंती में नहीं गए थे नीतीश
नीतीश का पंडित दिनदयाल उपाध्याय की जयंती में शामिल होने की घटना को इसलिए भी बड़ा माना जा रहा था, क्योंकि इस कार्यक्रम के लिए उन्होंने देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की जयंती समारोह से दूरी बना ली थी. हरियाणा के कैथल में ताऊ देवीलाल की जयंती समारोह का आयोजन इंडियन नेशनल लोकदल की तरफ से किया गया था लेकिन नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे.
क्या बीजेपी के करीब आने की कोशिश?
चंद साल पहले जब बिहार में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की सरकार थी, तब नीतीश सरकार ने दीनदयाल उपााय की जयंती को राजकी समारोह का दर्जा दे दिया था. बीजेपी गठबंधन में नीतीश कुमार के साथ थी, लेकिन अब जबकि नीतीश बीजेपी के साथ नहीं है. इसके बावजूद वह इस जयंती समारोह में पहुंचे थे तो यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि क्या नीतीश एक बार फिर बीजेपी के करीब आने की कोशिश कर रहे हैं?
BJP में ही बंटी दिखी राय
हालांकि, नीतीश को लेकर बीजेपी के अंदर भी दो राय देखने को मिली थी. एक तरफ जहां पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार की एंट्री बीजेपी में नहीं हो सकती. वहीं, नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने नीतीश कुमार के पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती में शामिल होने का स्वागत किया था.