बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नीति आयोग की बैठक में एक बार फिर से अपने सूबे को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला उठाया. रविवार को राष्ट्रपति भवन में हुई नीति आयोग के गवर्निंग काउंसिल की चौथी बैठक में नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के पक्ष में जोरदार तर्क दिए.
इस दौरान उन्होंने कई सुझाव भी दिए और कहा कि मिड डे मील स्कीम से विद्यालय अब भोजशाला बनकर रह गए हैं. लिहाजा यह बेहतर होगा कि पोषाहार के लिए बच्चों को राशि उपलब्ध कराई जाए, ताकि विद्यालयों में पढ़ने का माहौल बन सके.
सीएम नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय फसल बीमा का भी मामला उठाया और कहा कि बीमा योजना में अधिकांश प्रीमियम बीमा कंपनियों को चला जाता है, इसलिए बिहार राज्य फसल सहायता योजना की शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी, बाल विवाह और दहेज विरोधी अभियान जारी है. इसके लिए नीति आयोग का विशेष सहयोग मिलना चाहिए और अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए.
नीतीश कुमार ने सबसे पहले बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की और कहा कि अगर अंतर-क्षेत्रीय और अंतरराज्यीय विकास के स्तर भिन्नता से संबंधित आंकड़ों की समीक्षा की जाए, तो पाया जाएगा कि कई राज्य विकास के विभिन्न मापदंडों पर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे हैं. इन मापदंडों में प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, मानव विकास सूचकांक आदि शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि तर्कसंगत आर्थिक रणनीति वही होगी, जो ऐसे निवेश और अंतरण पद्धति को प्रोत्साहित करे, जिससे पिछडे़ राज्यों को एक निर्धारित समय सीमा में विकास के राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में मदद मिले. हमारी विशेष राज्य के दर्जे की मांग इस अवधारणा पर आधारित है. हम लगातार केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने से चहुमुखी विकास होगा. राज्य को अपने संसाधनों का उपयोग अन्य विकास और कल्याणकारी योजनाओं में करने का अवसर मिलेगा. वहीं, दूसरी ओर विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों के अनुरूप केन्द्रीय जीएसटी में अनुमान्य प्रतिपूर्ति मिलने से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा. सूबे में कारखाने लगेंगे, रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा.