यदि आप बिहार में सरकारी विद्यालयों के करीब से गुजर रहे हों और उसमें बच्चे को अपने घर की बोली में पढ़ते सुन लें तो चौंकिएगा नहीं, क्योंकि राज्य सरकार बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करने और घर की बोली तथा अपनी जुबान में ज्ञान हासिल करने की कवायद में जुटी है.
अगर सब कुछ सामान्य रहा तो राज्य सरकार अगले सत्र से छात्रों के पाठ्यक्रम में हिंदी के विकल्प के रूप में राज्य की पांच स्थानीय भाषाओं को शामिल करेगी.
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार की सोच है कि घरेलू भाषा में हिंदी शब्दों के पर्यायवाची शब्द जानने और समझने में बच्चों को सहूलियत होगी. साथ ही उनमें भाषा के कौशल और पढ़ाई के प्रति भी रुचि बढ़ेगी. हिंदी के विकल्प के रूप में राज्य की चार भाषाओं एवं बोलियों- मैथिली, मगही, अंगिका, भोजपुरी के अतिरिक्त उर्दू भी पेश किए जाएंगे.
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा ने बताया कि विभाग बच्चों को उनकी भाषा में किताबी ज्ञान प्रदान करना चाहता है. शुरुआत में पहले और दूसरे वर्ग के बच्चों के लिए यह प्रयोग किया जा रहा है. उसके बाद फिर ऊपर की कक्षाओं के पाठों में हिंदी के विकल्प शामिल किए जाएंगे.
उन्होंने बताया कि सरकार ने बच्चों के भविष्य के विकास के रूप में भी इसका इस्तेमाल करने की योजना बनाई है. इसके अतिरिक्त शिक्षा की गुणवत्ता में भी वृद्धि के लिए कई पहल नए सत्र में किए जा रहे हैं. राज्य शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) देसी बोलियों का विकल्प तैयार कर रहा है. एक अन्य अधिकारी के अनुसार, इससे बच्चों में न केवल पढ़ने की ललक बढ़ेगी, बल्कि उनका भाषा ज्ञान भी बढ़ेग.
ब्रिज कोर्स के रूप में एक पोस्टर तैयार किया जाएगा, जो प्रत्येक वर्ग में टंगे रहेंगे. इसके अतिरिक्त एक शब्दकोश भी तैयार करवाया जा रहा है. इससे न केवल छात्रों को, बल्कि शिक्षकों को भी लाभ मिलेगा. राज्य के शिक्षा मंत्री पी. के. शाही ने कहा कि आज पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बदलाव आ रहे हैं. ऐसे में बिहार सरकार भी बच्चों की शिक्षा में गुणवत्ता के लिए प्रयास कर रही है.
बच्चों को विद्यालय तक पहुंचने के लिए कई तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं. शिक्षा विभाग उनकी पढ़ाई को रुचिकर बनाने में भी जुटा है. उन्होंने कहा कि बच्चों एवं शिक्षकों के अतिरिक्त अब विद्यालयों के रिपोर्ट कार्ड भी तैयार कराए जाएंगे, जिससे यह पता चल सकेगा कि वहां सुविधाएं और शिक्षण का स्तर कैसा है.