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बिहार: जेपी लोहिया के विचारों को सिलेबस से हटाने पर रार! विपक्ष की घेराबंदी से बैकफुट पर नीतीश सरकार

जेपी यूनिवर्सिटी, छपरा में राजनीति विज्ञान के सिलेबस से जेपी और लोहिया के विचारों को बाहर किये जाने को लेकर लालू यादव ने नीतीश सरकार को घेरा था.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो-PTI)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सिलेबस से बाहर हुए थे जेपी-लोहिया के विचार
  • विपक्ष ने किया था हंगामा, घिरी नीतीश सरकार
  • अब विश्वविद्यालय प्रशासन पर भड़के नीतीश

जेपी यूनिवर्सिटी के सिलेबस से जेपी और लोहिया के विचारों को हटाने के आरोपों और विपक्ष की घेराबंदी के बीच नीतीश सरकार बैकफुट पर नजर आई. गुरुवार को यूनिवर्सिटी के वीसी और रजिस्ट्रार को पटना सचिवालय तलब किया गया.

कई घंटों की मीटिंग के बाद खुद शिक्षा मंत्री विजय चौधरी मीडिया के सामने आये और कहा कि सिलेबस से जेपी और लोहिया के विचारों को सिलेबस से हटाने का फैसला न सिर्फ अनुचित है बल्कि इसमें सामान्य परंपरा का भी पालन नहीं किया गया.

शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि यह स्थापित मान्यता है कि बिहार के विश्वविद्यालयों से संबंधित कोई भी नियम, परिनियम, ऑर्डिनेंस (जिसमें पाठ्यक्रम भी शामिल हैं) सरकार के बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद की सहमति के बाद ही लागू किया जाता है. लेकिन इस मामले में इसका पालन नहीं किया गया है जिसे सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया है.

मंत्री ने बताया कि साल 2018 में नई शिक्षा नीति के क्रम में सीबीसीएस के तहत चांसलर (राज्यपाल) के स्तर से एक कमेटी गठित की गई थी, जिसने पाठ्यक्रमों में संशोधन का प्रस्ताव दिया था. वो प्रस्ताव चांसलर के जरिए सभी विश्वविद्यालयों को भेजी गई. विश्वविद्यालय के स्तर पर उसकी समीक्षा होनी चाहिए थी, जो कि नहीं हुई. शिक्षा मंत्री ने कहा कि CBCS के तहत भी जेपी और लोहिया के विचारों को पाठ्यक्रम से बाहर किये जाने की बात उनकी समझ से बाहर है. बिहार में जेपी जनभावना से जुड़े हुए हैं, बिहार समाजवाद और साम्यवाद के पनपने की धरती रही है.

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राज्यपाल ने दिया जरूरी सुधार का भरोसा

विजय चौधरी ने बताया कि इस मामले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने घोर आश्चर्य और क्षोभ व्यक्त किया था और तत्काल इसके निराकरण का निदेश दिया था. मंत्री ने जानकारी दी कि महामहिम राज्यपाल के संज्ञान में भी ये बात लाई गई है, फिलहाल वे बिहार से बाहर हैं और वापस आकर इसमें आवश्यक सुधार कराने का उन्होंने भरोसा दिलाया है.

सरकार ने मांगा पाठ्यक्रम में बदलाव की जानकारी

विजय चौधरी ने कहा कि मीडिया के जरिये यह मामला सामने आने पर कुलपति और कुलसचिव को स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया था. लेकिन संतोषजनक जानकारी नहीं मिलने पर दोनों पदाधिकारियों को शिक्षा विभाग सचिवालय बुलाकर इसकी पृष्ठभूमि स्पष्ट करने को कहा गया. इतना ही नहीं मंत्री ने शिक्षा विभाग को राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों से भी पाठ्यक्रमों में पिछले दिनों किए गए बदलावों की जानकारी मंगाने के लिए निर्देशित किया है.

जनभावना के विपरीत नहीं जा सकते पाठ्यक्रम!

मंत्री ने कहा कि अगर किसी दूसरे विश्वविद्यालय से भी इस तरह की कोई अनुचित और अनियमित बात सामने आती है तो उसमें भी आवश्यक सुधार की व्यवस्था की जाएगी. मंत्री ने सख्त और स्पष्ट लहजे में कहा कि बिहार की जनभावना और सरकार की प्राथमिकताओं के विरुद्ध विश्वविद्यालयों के विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रमों में किये गए बदलाव की इजाजत नहीं दी जा सकती.

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सरकार को नहीं थी पाठ्यक्रम में बदलाव की जानकारी

मंत्री ने कहा कि चूंकि विश्वविद्यालय सीधे सरकार के नियंत्रण में नहीं आते इसलिए वहां हो रही गतिविधियों की जानकारी सरकार तक पहुंचने में समय लगता है. लेकिन जैसे ही ये जानकारी सरकार के संज्ञान में आई, सरकार ने पूरी तत्परता से कार्रवाई की.

विपक्ष के निशाने पर नीतीश सरकार

दरअसल जेपी यूनिवर्सिटी, छपरा में राजनीति विज्ञान के सिलेबस से जेपी और लोहिया के विचारों को बाहर किये जाने को लेकर लालू यादव ने सरकार को घेरा था. लालू ने ट्वीट करते हुए लिखा था, 'मैंने जयप्रकाश जी के नाम पर अपनी कर्मभूमि छपरा में 30 वर्ष पूर्व जेपी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. अब उसी यूनिवर्सिटी के सिलेबस से संघी बिहार सरकार तथा संघी मानसिकता के पदाधिकारी महान समाजवादी नेताओं जेपी-लोहिया के विचार हटा रहे हैं. यह बर्दाश्त से बाहर है. सरकार तुरंत संज्ञान लें.' जिसके बाद तमाम विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और आखिरकार सरकार को इस फैसले को पलटना पड़ा.

 

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