बिहार में मल्लाह और बिंद जाति को एससी कैटेगरी में शामिल किए जाने की मांग लंबे समय से चल रही है. इसे लेकर केंद्र सरकार के पास बिहार की ओर से भेजा गया प्रस्ताव खारिज कर दिया गया, जिसके बाद वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी के तेवर तल्ख हो गए हैं. अपनी शिकायत लेकर मुकेश सहनी रविवार को बिहार के राज्यपाल से मिलने पहुंचे.
हालांकि राज्यपाल से मुलाकात के बाद लौटे मुकेश सहनी ने इन अटकलों को खारिज कर दिया. मुकेश सहनी ने स्पष्ट कहा कि वो इस्तीफा देने नहीं गए थे, वो सिर्फ अपनी बातें राज्यपाल तक पहुंचाने गए थे, ताकि इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर से सुलझाया जा सके. मुकेश सहनी ने ये जरूर कहा कि अगर उनके समाज के साथ कुछ गलत हुआ, तो वो इस्तीफा देने में देर नहीं करेंगे.
रविवार सुबह भी एक कार्यक्रम के दौरान मुकेश सहनी ने केंद्र सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि आरक्षण उनका अधिकार है, जिसे वो लेकर रहेंगे. सहनी ने आरोप लगाया कि अब तक की केंद्र सरकारें उनके समाज के साथ फुटबाल की तरह खेल रही हैं. उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर गृहमंत्री से भी बात की है और उन्हें आश्वासन मिला है. मुकेश सहनी ने चेताया कि अब वो किसी के भरोसे नहीं बैठेंगे और आरक्षण की इस लड़ाई को बिहार से दिल्ली तक ले जाएंगे.
छह दशक से जारी है लड़ाई
उन्होंने कहा कि निषाद समाज को आरक्षण दिलाने की लड़ाई पिछले छह दशक से जारी है. आजादी के बाद से ही लगातार निषाद समाज के साथ छल किया जा रहा है. चाहे केंद्र में किसी की भी सरकार रहे. दिल्ली और बंगाल में निषाद समाज को आरक्षण मिला हुआ है और हम चाहते हैं कि बिहार में भी हमें आरक्षण मिले. उन्होंने कहा कि वह केंद्र के द्वारा मल्लाह जाति को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं करने के फैसले से आहत जरूर हैं, मगर वे अपना आंदोलन आगे भी जारी रखेंगे.