बिहार के मधेपुरा में डीएम मो. सुहेल ने अपने ही आदेश का संशोधन किया है. पहले मधेपुरा डीएम ने आदेश दिया था कि जिले में जितने भी वाटसएप और फेसबुक के ग्रुप चलते है उसमें जिला प्रशासन द्वारा जारी मोबाइल नम्बर 9955948775 को भी जोड़ा जाए, ताकि प्रशासन उस ग्रुप में अपनी निगरानी रख सके. इस आदेश से वो लोग सकते में आ गये जिन्होंने अपना परिवारिक ग्रुप बनाया था. लेकिन डीएम मो. सुहैल ने एक प्रेस बयान जारी कर परिवारिक और प्रेस के ग्रुप को इस आदेश से अलग रखा है.
पिछले दिनों मधेपुरा के बिहारीगंज में हुए साम्प्रदायिक तनाव के लिए जिलाधिकारी ने सोशल मीडिया को जिम्मेदार बताते हुए यह फरमान जारी किया था. जिला प्रशासन ने जांच के क्रम में पाया कि विभिन्न वाट्सएप और फेसबुक ग्रुप की वजह से गलत अफवाह फैलाई गई. जिसके कारण इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हुई. उन्होंने अब अपने आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस आदेश के दायरे में मात्र वैसे ग्रुप आते है जो सोशल ग्रुप के अधीन परिभाषित किए जायेंगे. परिवारिक ग्रुप या प्रेस ग्रुप इस के अधीन नहीं माने जाएंगे. इस प्रकार का प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19(2) एवं अच्छेद 19(3) के अधीन भारत की एकता एवं अखंडता, राज्य की सुरक्षा एवं पब्लिक ऑर्डर को बनाये रखने के तहत दिया गया है.
जिलाधिकारी द्वारा जारी आदेश में मधेपुरा के इलाकों में चलाए जा रहे वाट्सएप ग्रुप पर नजर रखने के लिए एक विभाग का भी गठन किया गया है. विभाग में शामिल अधिकारियों को ये सख्त निर्देश जारी किया गया है कि ग्रुप पर बारीक नजर रखेंगे और उसमें बांटी जा रही सूचनाओं को ब्यौरा भी रखेंगे. साथ ही गलत सूचना देने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने का भी आदेश जिलाधिकारी ने दिया है. इतना ही नहीं इलाके में चलाने वाले सभी ग्रुप एडमिन को निर्देश दिया गया है कि वो जिला प्रशासन द्वारा जारी नम्बर 9955948775 को अपने ग्रुप में शामिल करें. आदेश में यह भी कहा गया है कि फेसबुक ग्रुप चलाने वाले भी मधेपुरा मोनिटर को फ्रैंड रिक्वेस्ट निश्चित रुप से भेजें. मधेपुरा के जिलाधिकारी का यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है. आदेश नहीं मानने वालों पर आईपीसी की धारा और आईटी एक्ट के तहत संबंधित थाने में मामला दर्ज हो सकता है.