बिहार विधानसभा में बजट सत्र के दूसरे दिन नीतीश सरकार ने बजट पेश कर दिया. उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील मोदी ने 2.11 लाख करोड़ का बजट पेश किया. चुनावी साल में सरकार ने कोई लोकलुभावन ऐलान नहीं किया और शिक्षा के लिए सर्वाधिक धन आवंटित किया गया है. कुल बजट का लगभग 20 फीसदी हिस्सा केवल शिक्षा पर ही खर्च होगा. सरकार ने किसी कर में कोई वृद्धि नहीं की.
शिक्षा के लिए 35191 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इसमें 9 और 10 वर्ग के लिए स्मार्ट क्लास बनाए जाएंगे, जिसमें टीवी स्क्रीन पर यूएसबी के जरिए बच्चों को शिक्षा दी जाएगी. बांका जिले मे ई-कंटेंट के सफल परीक्षण के बाद पूरे बिहार के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में सभी विषयों के लिए स्मार्ट क्लास की स्थापना की जा रही है. इस पर 90 हजार रुपये प्रति विद्यालय खर्च होगा. अभी 5566 स्कूलों में 50.8 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.
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बिहार के बजट में शिक्षा के लिए सर्वाधिक धन आवंटित किया गया है, लेकिन इसमें शिक्षकों के लिए कुछ भी नहीं है. प्रदेश के चार लाख से अधिक नियोजित और नियमित शिक्षक समान काम और समान वेतन की मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. शिक्षकों की हड़ताल समाप्त कराने के लिए सरकार की ओर से बजट में किसी ऐलान की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रदेश में शिक्षकों की हड़ताल के बावजूद बोर्ड परीक्षा तो संपन्न हो गई, लेकिन अब उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में समस्या हो रही है.
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नीतीश सरकार बजट को बेहतर बताते हुए अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं विपक्ष ने बजट की आलोचना की है. कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने बजट पर सवाल खड़ा करते हुए सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह कैसी विडंबना है कि शिक्षक पहले से ही हड़ताल पर है और सरकार बजट में सबसे ज्यादा खर्च भी शिक्षा पर कर रही है, लेकिन शिक्षकों को ऐसे ही छोड़ दिया गया. सदानंद सिंह ने कहा कि ऐसे बजट से किसका भला होने वाला है.