बिहार की सियासत में बीजेपी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. सीएम नीतीश कुमार इन दिनों आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ सुर में सुर मिलाकर अपने सियासी एजेंडे को अमलीजामा पहनाने में जुटे हैं. वहीं, बीजेपी की दलित विधायक भागीरथी देवी ने बगावती तेवर अपनाते हुए पार्टी के सभी पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे बीजेपी असहज स्थिति में नजर आ रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि पांच बार की विधायक और पद्मश्री से सम्मानित भागीरथी देवी क्यों बागी हो गई हैं?
बता दें कि भागीरथी देवी पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज में ब्लॉक विकास कार्यालय में एक सफाई कर्मचारी के रूप में काम करती थीं. वे नरकटियागंज के एक गरीब परिवार से हैं और बीजेपी के साथ जुड़ी हुई हैं. उन्होंने अपना पहला चुनाव साल 2000 में नरकटियागंज विधानसभा से लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 2005 में भी चुनाव जीती. साल 2010 में परिसीमन बदला और नरकटियागंज सामान्य सीट हो गया. इसके बाद उन्होंने रामनगर सीट से चुनाव लड़ा और तब से वहां की विधायक हैं.
स्थानीय संगठन में नहीं मिल रही तवज्जो
भागीरथी देवी पांचवीं बार बीजेपी से विधायक हैं, लेकिन उन्हें अपने ही जिले के संगठन में सियासी तवज्जो नहीं मिल रहा. यह बात खुद भागीरथी देवी ने कहा कि बगहा जिला में संगठन में भी हमारी कोई पूछ नहीं है. उन्होंने बिना नाम लिए बीजेपी के स्थानीय नेताओं पर आरोप लगाया है कि दो लोग मिलकर पूरे जिले को चला रहे हैं. भागीरथी ने कहा कि मैं भाजपा को वोट दिलाने के प्रयास में रहती हूं और वे लोग कांग्रेस के चक्कर में रहते हैं.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जब से बगहा जिले का गठन हुआ है तब से पार्टी में मुझे साइड लाइन कर दिया है. इस तरह से बीजेपी की दलित महिला विधायक ने पार्टी पर इस तरह के आरोप से संगठन के लोग सकते में हैं. पार्टी की दलित महिला विधायक की ओर से उठाए गए कदम ने संगठन के अंदर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
प्रदेश अध्यक्ष से भी नहीं मिला इंसाफ
भागीरथी देवी ने पार्टी के क्रियाकलापों से परेशान होने का आरोप लगाते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मेरी परेशानी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल जानते हैं, क्योंकि अपनी परेशानी से उन्हें अवगत करा चुकी हूं और स्थानीय संगठन के लोग किस तरह से पार्टी को कमजोर रहे हे, उसे भी बताया. इसके बाद भी जिला संगठन के लोगों पर कोई करवाई नहीं हुई और न ही कोई हल निकल सका है. इसके चलते ही बीजेपी संगठन की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य पद से इस्तीफा दे रही हूं.
हालांकि, बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने डैमेज कन्ट्रोल करते हुए कहा कि विधायक भागीरथी देवी प्रदेश स्तरीय समर्पित और सम्मानित नेता हैं. उनकी जिला संगठन से थोड़ी नाराजगी है, जिसे लेकर उनसे बात हुई है और जल्द ही उनकी नाराजगी दूर कर ली जाएगी. भाजपा उनका सदैव सम्मान करती है. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष का बयान सामने तब आया है जब भागीरथी देवी ने मीडिया में आकर इस्तीफा देने का ऐलान किया तब.
दलित होने के चलते क्या हुईं साइड लाइन
भागीरथी देवी की नाराजगी की एक बड़ी वजह उन्होंने खुद के दलित होना बताया. भागीरथी ने कहा कि एक दलित होने के कारण बीजेपी संगठन में मेरी बात नहीं सुनी जाती जबकि मेरी ईमानदारी और सेवा कार्य के बदौलत जनता मुझे पांचवीं बार विधानसभा में भेजा है. मैं दलित हूं इस कारण मेरी विधान सभा के लोग मुझे प्रताड़ित करते रहते है. इतना ही नहीं भागीरथी देवी ने कहा किमुझे पद्मश्री मिलने के बाद कई लोगों के मन में अनेक तरह की खटास है, जिसके कारण संगठन में कोई मेरी बात नहीं सुनता है. ऐसे में राष्ट्रीय कार्यसमिति और प्रदेश कार्य समिति से इस्तीफा दे रही हूं.
वहीं, सबका साथ सबका विकास का नारा बुलंद करने वाली बीजेपी अपने महिला विधायक के इस कदम से तमाम सवाल खड़े हो गए हैं. हालांकि, भागीरथी देवी ने पीएम नरेंद्र मोदी को भगवान कहते हुए पार्टी में बने रहने की बात कही है. इसके बावजूद भागीरथी देवी ने जिस तरह से दलित कार्ड खेला है, उससे विपक्ष को बीजेपी को घरेना का मौका मिल गया है. राजद नेता एजाज अहमद ने कहा कि बीजेपी ने कभी भी दलित और महिलाओं के मान सम्मान का ख्याल नहीं रखा. भागीरथी देवी द्वारा मामले को सामने लाने के बाद स्पष्ट हो गया कि बीजेपी की दलित समाज के प्रति क्या सोच है?
(पटना से राजेश कुमार झा के इनपुट के साथ)