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क्या सपनों की डरावनी दुनिया में खो जाते हैं आप? जानें नाइटमेयर डिसऑर्डर से कैसे खराब होती है मेंटल हेल्थ

नाइटमेयर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को बार-बार बुरे सपने आते हैं, जो नींद में खलल डालते हैं, दिन के कामकाज को बाधित करते हैं और लगातार परेशानी का कारण बनते हैं. नाइटमेयर डिसऑर्डर की वजह से व्यक्ति की मेंटल हेल्थ भी प्रभावित होती है.

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Mental Health News (Image: Freepik)
Mental Health News (Image: Freepik)

रात में सोते समय सपने आना एक आम बात है, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें रात में डरावने सपने आते हैं, जिसकी वजह से वे लोग ठीक से सो नहीं पाते. व्यक्ति की इस मानसिक अवस्था को नाइटमेयर डिसऑर्डर कहा जाता है. दरअसल, नाइटमेयर डिसऑर्डर से पीड़ित इंसान को रोजाना रात को भयानक सपने आते हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति की नींद प्रभावित होती है. इस कारण से ऐसा व्यक्ति तनाव में रहने लगता है और मेंटल हेल्थ प्रोब्लम का शिकार हो जाता है. 

नाइटमेयर डिसऑर्डर वाले लोगों को बार-बार बुरे सपने आते हैं जो नींद में खलल डालते हैं, दिन के कामकाज को बाधित करते हैं और लगातार परेशानी का कारण बनते हैं. लेकिन कुछ लोगों को ये समस्या नहीं होने के बाद भी सपने आते हैं और ऐसा उनकी ओवरथिंकिंग की आदत के कारण होता है. 

नाइटमेयर डिसऑर्डर से कैसे खराब होती है मेंटल हेल्थ

1. नाइटमेयर डिसऑर्डर से तनाव बढ़ता है और एंग्जाइटी पैदा होती है, जिससे आराम करना या सो पाना मुश्किल हो जाता है. ये एंग्जाइटी आपको सुबह तक सोने नहीं देती है. नाइटमेयर से होने वाली एंग्जाइटी मौजूदा मानसिक स्वास्थ्य को खराब कर सकती है और रोजमर्रा के काम में बाधा डाल सकती है. 

2. मानसिक स्वास्थ्य पर बुरे सपनों का प्रभाव जीवन की गुणवत्ता को काफी कम कर सकता है. नींद में परेशानी से लेकर भावनाओं का प्रभावित होना ये सारी चीजें इंसान की दैनिक गतिविधियों को मुश्किल बना सकती है. इसलिए बुरे सपनों के प्रभाव को कम करना मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है. 

3. नाइटमेयर नींद के पैटर्न को काफी हद तक प्रभावित करते हैं. वे सोने में कठिनाई या सोते रहने का कारण बन सकते हैं. एक और नाइटमेयर का अनुभव करने के डर से लंबे समय तक जागना और नींद में खलल पड़ सकता है, जिससे आराम करने के लिए पूरा समय नहीं मिलता है. लगातार नाइटमेयर नींद की कमी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को खराब कर सकती है, जिससे फोकस, याद रखने और निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है. 

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