What is Anxious Attachment: आज के वक्त में रिलेशनशिप को लोग अलग-अलग नाम देते हैं. वहीं, लोग अलग-अलग तरीके से अपनी रिलेशनशिप को हैंडल करते हैं. वैसे तो कोई भी रिश्ता आपके जीवन में खुशी और स्थिरता लाता है, लेकिन आज के वक्त में कई लोग रिलेशनशिप में परेशान होते रहते हैं. खुद की इमोशनल और मेंटल हेल्थ को खराब करते रहते हैं, फिर भी उससे निकल नहीं पाते हैं. दरअसल, जो लोग लाख परेशानियों और टॉक्सिक चीजों के बाद भी रिश्ते से बाहर नहीं निकल पाते वो एंक्शियस अटैचमेंट के शिकार होते हैं. आइए जानते हैं क्या है एंक्शियस अटैचमेंट और इसके लक्षण.
क्या है एंक्शियस अटैचमेंट?
कई लोग अनजाने में किसी के साथ इतने ज्यादा अटैच्ड हो जाते हैं, कि उनकी तमाम खामियों को नजरअंदाज करते हुए उनके साथ ही रहते हैं. इस स्थिति को एंक्शियस अटैचमेंट कहा जाता है. एंक्सियस अटैचमेंट एक ऐसी चीज है, जो आपकी पर्सनल ग्रोथ को रोक देती है, इसके साथ ही इस स्थिति में आपका रिलेशनशिप भी ग्रो नहीं करता. दरअसल, एंक्सियस अटैचमेंट की स्थिति में व्यक्ति को अकेलेपन से डर लगता है और वे अपने पार्टनर पर इमोशनली कुछ ज्यादा ही डिपेंडेंट हो जाते हैं. वहीं, उनके साथ रहने के लिए वो तमाम रेड फ्लैग को भी नजरअंदाज करते हैं.
एंक्शियस अटैचमेंट के चलते लोग कई बार टॉक्सिक रिश्तों को सालों-साल झेलते रहते हैं. वहीं, इसकी वजह से कई बार लोग अपने अच्छे रिश्तों को खो भी देते हैं. दरअसल, एंक्शियस अटैचमेंट के चलते व्यक्ति को लगातार ये डर सताता रहता है कि कहीं उनका पार्टनर उन्हें छोड़ ना दे. इसकी वजह से वो अपने पार्टनर पर जरूरत से ज्यादा शक और सवाल-जवाब करने लगते हैं. इसका सीधा असर उनके रिश्ते पर पड़ता है.
अकेलापन लोगों को इतना डराता है कि वो किसी के बुरे व्यवहार को भी नजरअंदाज करते हैं. रिश्ते को बनाए रखने के लिए एंक्शियस अटैचमेंट से पीड़ित व्यक्ति खुद को सामने वाले के हिसाब से ढालने लगता है. वो धीरे-धीरे अपना जीवन जीना भूल जाता है और पार्टनर के मन मुताबिक चलने लगता है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति मानसिक तौर पर परेशान रहने लगता है और हंसा-मुस्कुराना भूल जाता है.
आइए जानते हैं एंक्शियस अटैचमेंट के लक्षण
मूड स्विंग: एंक्शियस अटैचमेंट से जूझ रहे व्यक्ति को बेहद गंभीर मूड स्विंग्स होते रहते हैं. कभी कोई चीज काफी ज्यादा अच्छी लगती है, तो कभी बिना किसी बात के व्यक्ति निराश रहने लगता है. भावनाओं में होने वाले फ्रिक्वेंट बदलाव मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक असर डाल सकते हैं.
लगातार सताता है रिश्ता खत्म होने का डर: जो लोग एंक्शियस अटैचमेंट के शिकार होते हैं, उन्हें लगातार यही डर सताता रहता है कि कहीं उनका पार्टनर उनसे रिश्ता ना खत्म कर दें. इसी के चलते वे बहुत ज्यादा पोजेसिव और ईर्ष्या से भर जाते हैं. वो बहुत ज्यादा शक करने लगते हैं. इसका सीधा-सीधा असर आपके रिश्ते पर तो पड़ता ही है, लेकिन आपकी मानसिक स्थिति पर भी इसका असर पड़ता है. हर वक्त निगेटिव विचारों के चलते आप स्ट्रेस में रहने लगते हैं और खुलकर जीवन नहीं जी पाते.
खुद को बदलने की कोशिश: एंक्शियस अटैचमेंट के चलते व्यक्ति अपने अंदर कमियां खोजने लगता है. ऐसे में लोग खुद की चीजों को बदलने लगते हैं ताकि उनका पार्टनर पूरी तरह से कंफर्टेबल रह सके. ये बदलाव मेंटल हेल्थ पर बेहद नकारात्मक असर डाल सकते हैं.
सेटिस्फेक्शन की कमी: एंक्शियस अटैचमेंट के शिकार लोग किसी भी चीज को लेकर जल्दी संतुष्ट नहीं होते. वो अपने पार्टनर पर इस कदर निर्भर हो जाते हैं, कि वह खुद को संतुष्ट और खुश नहीं रख पाते. ऐसी स्थिति में जब उनका पार्टनर भी उनके लिए कुछ बेहतर करने की कोशिश करता है, तब भी उन्हें इसकी संतुष्टि नहीं मिलती वह उसमें नकारात्मक चीजें ढूंढना शुरू कर सकते हैं.