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महिलाओं को अपनी डाइट में जरूर शामिल करने चाहिए ये 5 पोषक तत्व

जीवन के अलग-अलग चरणों में महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती हैं. ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे पोषक तत्वों के बारे में बताने जा रहे हैं जो महिलाओं के लिए जरूरी होते हैं.

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female health
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भारत में महिलाओं को हार्मोनल इंबैलेंस, एनीमिया, आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस, स्किन इश्यूज, हेयर फॉल, गट हेल्थ और मेंटल हेल्थ जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसका मुख्य कारण न्यूट्रिशनल माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी है.

महिलाओं में न्यूट्रिशनल समस्याएं और उनके कारण-

एक सर्वे के अनुसार भारत में 52% से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होता है, जो आयरन (आयन) और रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होती है. मेनोपॉज वाली महिलाओं में से 30% को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होती है. भारत में लगभग 6 करोड़ लोग ऑस्टियोपोरोसिस से जूझ रहें हैं, जिनमें से 80% महिलाएं हैं. महिलाओं की डाइट में विटामिन A, नॉनवेज, डेयरी उत्पादों की कमी पाई गई है जिससे पोषक तत्वों की कमी होती है. महिलाओं को जीवन के अलग-अलग फेज- जैसे पीरियड्स, प्रेगनेंसी, ब्रेस्टफीडिंग, मेनोपॉज – में विशेष पोषक तत्वों की जरूरत होती है. इसलिए महिलाओं के लिए सही पोषण और सप्लीमेंट्स जरूरी होते हैं.

आइए जानते हैं महिलाओं को किन पोषक तत्वों की जरूरत सबसे ज्यादा होती है

आयरन (Iron)- आयरन हीमोग्लोबिन प्रोडक्शन, एनर्जी ट्रांसफर और ब्रेन डेवलपमेंट के लिए जरूरी है. भारत में 67% लड़कियां और 57% एडल्ट्स एनीमिया की समस्या से जूझ रहे हैं. महिलाओं में पीरियड्स के कारण आयरन की जरूरत बढ़ जाती है. प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग में भी पर्याप्त आयरन जरूरी है. आयरन के दो प्रकार होते हैं - हीम (नॉन वेजीटेरियन स्रोस) और नॉन-हीम (वेजीटेरियन सोर्स). हीम आयरन की अवशोषण क्षमता नॉन-हीम की तुलना में ज्यादा होती है. नॉन-हीम आयरन के साथ विटामिन C युक्त डाइट लेने से अवशोषण बढ़ता है. शरीर में आयरन का लेवल बढ़ाने के लिए लोहे की कढ़ाई में खाना खाएं.

ओमेगा 3 फैटी एसिड- ओमेगा 3 फैटी एसिड ब्रेन हेल्थ, स्ट्रेस कम करने, आर्थराइटिस के लक्षण कम करने, स्किन की हाइड्रेशन और ब्रेन एवं आंखों के डेवलपमेंट के लिए जरूरी हैं. इसके वेजिटेरियन सोर्स में फ्लैक्स सीड्स, चिया सीड्स, अखरोट, हेम्प सीड्स और नॉन वेजिटेरियन सोर्स में फैटी फिश शामिल हैं.

कोलेजन- कोलेजन स्किन, ज्वाइंट, हड्डी और टिशू के लिए जरूरी है. महिलाओं में 20 साल की उम्र के बाद कोलेजन का प्रोडक्शन घटने लगता है, जो मेनोपॉज तक और कम हो जाता है. इससे स्किन में झुर्रियां, सैगिंग और इलास्टिसिटी कम हो जाती है. कोलेजन स्किन की  नई सेल रीजेनरेशन के लिए जरूरी है. कोलेजन वेजिटेरियन सोर्स में खट्टे फल, नट्स, बीज, जामुन शामिल हैं.

कैल्शियम- कैल्शियम बोन और दांतों के लिए बहुत जरूरी होता है, और मसल फंक्शन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसकी कमी से ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है, जिसमें बोन कमजोर और नाजुक हो जाती हैं. कैल्शियम के अच्छे सोर्स में डेयरी प्रोडक्ट्स, ग्रीन लीफ वेजिटेबल्स, और बादाम शामिल हैं.

फोलेट (विटामिन B9)- फोलेट सेल्स की डेवलपमेंट और उनकी नरिशमेंट के लिए जरूरी होता है, और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए बहुत जरूरी माना जाता है. इसकी कमी से न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स हो सकते हैं. फोलेट के अच्छे सोर्सेज में एस्पेग्नॉल, स्प्राउट्स, ब्रोकली, और लेटस जैसी वेजिटेबल्स शामिल हैं.
 

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